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गिद्धों की बस्ती में जा कर क्या करना।

गिद्धों की बस्ती में जा कर क्या करना।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
गिद्धों की बस्ती में जा कर क्या करना।
अब तक चलती हैं साँसें फिर क्या मरना।।
मिले हुए हैं पथ सारे आतंकी से।
ऐसे में बादल बिजली से क्या डरना।।
अब तो जहाँ उपजते है बारूदी जन।
उस घाटी के कटु जीवन का क्या कहना।।
दूर मदारी बन बैठा हो जो कोई ।
उससे दूरी पर ही अच्छा है रहना।।
नहीं यहाँ विश्वास परीक्षा का परचा।
धोखे की सरिता है उसमें क्या तरना ‌‌
मोड़ - मोड पर जादूगर का खेला है। । 
षडयंत्रों के चक्रव्यूह में क्या फँसना।।
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