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इंसानों की इंसानियत कब जागेगा

इंसानों की इंसानियत कब जागेगा

रिश्ते की अहमियत कोई जानता नहीं,
इसानों की इंसानियत कोई पहचानता नहीं।
आज रिश्तों की कद्र कोई करता ही नहीं ,
मानव को मानवता का कोई ज्ञान ही नहीं।

आज स्वार्थवश रिश्ते बनाते हैं लोग,
स्वार्थ साधते ही दूरी बनाते हैं लोग।
धोखा और अविश्वास पालते हैं लोग ,
भरोसा और विश्वास का गला घोंटते हैं लोग।

सत्य, अहिंसा व मित्रता का लोप हो गया,
अहं, हिंसा व कटुता का अब युग आ गया।
भाई ही, भाई के रक्त का प्यासा हो गया,
तभी तो मधुर संबंधों का ह्रास हो गया।

पता नहीं क्या होगा इस मानव का अब,
इंसानों की अब इंसानियत अब जागेगा कब ?
भाईचारे व बंधुत्व का भाव जागेगा कब ?
स्वार्थ रहित समाज फिर बसेगा कब ?

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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