पथिक
सिद्धांतों पर चलने का तेरा निर्णय,एक दिन गंतव्य तक ले जाएगा।
पथिक, पहले एकाकी चलना पड़ेगा,
बाद में कारवाँ बनता चला जाएगा।
अकेलापन सताएगा, राहें कठिन होंगी,
फिर भी हौसला रखना, जीत तेरी होगी।
ठोकरें लगेंगी, घाव भी होंगे गहरे,
फिर भी चलते रहना, ये रास्ते हैं मेरे।
एक दिन कारवाँ भी पीछे छूट जायेगा,
तू भी चलते चलते थक जायेगा।
पथिक, जीवन निष्प्राण हो जायेगा,
लेकिन परम का “एहसास” आएगा।
परम शांति मिलेगी, जब तू पहुंचेगा मंजिल,
तब लगेगा कि जीवन का सफर था मिल।
अकेलेपन में भी अनुभव करेगा तेरा दिल,
कि मेरा साथ हमेशा से रहा था तुझे मिल।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
"कमल की कलम से"
(शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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