सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी व्यक्तियों को उनके सेंसरी सिस्टम के साथ बेहतर तालमेल बनाने में मददगार
" सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी एक प्रकार की थेरेपी है जो व्यक्तियों को उनके सेंसरी सिस्टम (संवेदनात्मक तंत्र) के साथ बेहतर तालमेल बनाने में मदद करती है। इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों की मदद करना है जिन्हें विभिन्न प्रकार की सेंसरी समस्याएं होती हैं " उक्त उद्गार बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी विकलांग भवन अस्पताल कंकड़बाग पटना के तत्वावधान में आयोजित "विश्व आक्यूपेशनल थेरेपी दिवस" के अवसर पर आयोजित समारोह में "चेतना फाउंडेशन" नई दिल्ली के निदेशक डॉ संतोष कुमार ने व्यक्त किए।
विश्व आक्यूपेशनल थेरेपी दिवस पर आयोजित समारोह में अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक सचिव डॉ अभय कुमार जायसवाल ने किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का थीम " सभी के लिए व्यावसायिक चिकित्सा " है। यह चिकित्सा शारीरिक, मानसिक या मनोवैज्ञानिक सीमा से निपटने और रोजमर्रा की जिंदगी में बेहतर प्रबंधन करने में मदद करती है। इससे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है, साथ ही सामाजिक एवं पारिवारिक गतिविधियों में भाग लेना आसान हो जाता है।
कार्यक्रम की शुरुआत मानव श्रृंखला बनाकर किया गया। इसके बाद कॉलेज के सभागार में पोस्टर प्रेजेंटेशन हुआ ।कार्यक्रम का उद्घाटन विकलांग भवन अस्पताल, पटना के विभागाध्यक्ष डॉ किशोर कुमार, फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार, आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक, चेतना फाउंडेशन नई दिल्ली के निदेशक डॉ संतोष कुमार, एकेडमिक इंचार्ज डॉ ए के जायसवाल डॉ मनोज कुमार, डॉ सुभद्रा, डॉ उदय कुमार, डॉ उमेश कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
"विश्व आक्यूपेशनल थेरेपी दिवस"के अवसर पर चेतना फाउंडेशन नई दिल्ली के निदेशक डॉ संतोष कुमार ने Emerging Trends in Sensory Integration Therapy के महत्व को बताते हुए कहा कि सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी एक प्रकार की थेरेपी है जो व्यक्तियों को उनके सेंसरी सिस्टम ( संवेदनात्मक तंत्र) के साथ बेहतर तालमेल बनाने में मदद करती है। इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों की मदद करना है जिन्हें विभिन्न प्रकार की सेंसरी समस्याएं होती है जैसे कि स्पर्श, ध्वनि, दृष्टि या अन्य इंद्रियों से जुड़ी अति या अल्प संवेदनशीलता। यह थेरेपी न केवल बच्चों के लिए उपयोगी है बल्कि सभी आयु समूहों के लिए फायदेमंद हो सकती है।
बच्चों में यह थेरेपी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर या अन्य विकासात्मक विकारों के लिए दी जाती है। किशोरों एवं युवाओं में यह थेरेपी उन्हें अधिक ध्यान केंद्रित करने, सामाजिक रूप से व्यवहारिक बनाने और शारीरिक संतुलन को सुधारने में मदद कर सकती है। वयस्कों और बुजुर्गों में यह थेरेपी तनाव, चिंता और भावनात्मक समस्याओं के प्रबंधन में सहायक हो सकता है।यह थेरेपी आमतौर पर एक विशेष रूप से प्रशिक्षित आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट द्वारा दी जाती है।यह थेरेपी व्यक्तियों के इंद्रियों के अनुकूल बनाई जाती है जिसमें विभिन्न उपकरणों, गतिविधियों और खेलों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए स्विंग्स,ट्रैम्पोलिन,टच सेंसेटिव गेम्स आदि का उपयोग किया जा सकता है।
ऑल इंडिया आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंकज बाजपेई ने वीडियो कांफ्रेंसिंग (वर्चुअल मोड) के माध्यम से विश्व आक्यूपेशनल थेरेपी दिवस की शुभकामनाएं दी और आक्यूपेशनल थेरेपी के महत्व को बताते हुए कहा कि व्यावसायिक चिकित्सा स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकती है।यह न केवल व्यक्तियों की जीवन गुणवत्ता को सुधारता है, बल्कि उन्हें समाज और कार्यक्षेत्र में सशक्त भी बनाता है।
कॉलेज प्रशासन की ओर से दिव्य जीर्णोद्धार फाउंडेशन, पटना के निदेशक व दिव्य रश्मि पत्रिका के संपादक डॉ राकेश दत्त मिश्र, दिव्य रश्मि फाउंडेशन के अध्यक्ष व दिव्य रश्मि पत्रिका के उप संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा एवं राजनीति चाणक्य पत्रिका एवं दिव्य रश्मि पत्रिका के पत्रकार सुरेन्द्र कुमार रंजन को प्रतीक चिह्न (मूमेंटो) देकर सम्मानित किया गया।
लंच ब्रेक के बाद द्वितीय सेशन में कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा मंत्र - मुग्ध करने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।अंत में प्रमाण पत्र वितरित किया गया।
मंच का संचालन डॉ जबीन, रत्नप्रिया और शिवम ने संयुक्त रूप से किया। पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरण आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी विकलांग भवन अस्पताल, पटना के विभागाध्यक्ष सह नियंत्रण पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार, कार्यक्रम के संयोजक सचिव डॉ अभय कुमार जायसवाल, आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक, डॉ उदय कुमार, डॉ आर सी विद्यार्थी,डॉ सज्जन कुमार, डॉ रवि, डॉ प्रमोद भारती,, डॉ जबीन, डॉ अनामिका, डॉ अनिता, डॉ युक्ता, डॉ नोमान परवेज, डॉ पुष्पा, डॉ अविनाश सहित आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग में पदस्थापित सभी व्यावसायिक चिकित्सकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोजन को सफल बनाने में फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार, डॉ उमेश कुमार सहित कॉलेज के सभी फिजियोथेरेपिस्टों की भूमिका भी सराहनीय रही।
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