भर विषाद- कह! हे निषाद
--: भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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देख हताहत
कोयल भूपत
हुई ऋषि कि
अति करूणा आहत
भर विषाद
कह हे! निषाद
रखा नहीं तू रति की निष्ठा
तुम पाओगे नहीं प्रतिष्ठा
कह इतना ऋषि हुए गंभीर
आंखों से गिरने लगा नीर
दिशा देखकर ऐसा रूप
होकर विस्मित रह गई चुप
नारद की दृष्टि पड़ी सहसा
कविता कामिनी सुरसा-सुरसा
तब मिटाने को मनोव्यथा
सुनाये ऋषि को राम कथा
जो कथा लोक में पावन है
यह अति प्रिय मनभावन है
लिखिए ऋषि यह राम कथा
मिटेगा दुख और मनोव्यथा
तब लिखी वाल्मीकि ने रामकथा
कहता है "अणु" सुन रखा यथा
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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