अगर अच्छा है
---: भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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मेरे शहर से तेरा ये शहर अच्छा है।
मेरे घर से तेरा ये घर भी अच्छा है।१।
लोग तो मुझे बुरा भी घोषित कर देगें,
तुम्हें कहेंगे तेरे साथ सफ़र अच्छा है।२।
जिन्हें पसंद नहीं तेरे हाथ का पानी,
बोलेगा तेरे हाथ का जहर अच्छा है।३।
दिल देखने वाला यहां अब कौन बचा,
पर ये बोलेगा नाजुक कमर अच्छा है।४।
बड़ी मुश्किल है यहां खुद को बचाना,
मासूम हंसी पर कच्ची उमर अच्छा है।५।
हां तुम यहां किसी पर यकीन न करना,
"अणु" की बात मान खबर अच्छा है।६।
जो अपनों का न हो सके आज तक,
कहते फिर रहा रिश्ते का असर अच्छा है।७।
आदमी का रंग रूप मायने नहीं रखता,
उसका काम और दिल अगर अच्छा है।८।
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वलिदाद, अरवल (बिहार)८०४४०२.
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