कभी पुराली कभी पटाखे, शोर मचेगा,
दिल्ली में प्रदूषण भारी, शोर मचेगा।नववर्ष पर ख़ूब पटाखे शोर शराबा होता,
दिवाली पर बढ़ा अस्थमा, शोर मचेगा।
विश्व पटल पर प्रदूषण की बात नहीं होती,
रूस युक्रेन इज़राइल गाजा, बात नहीं होती।
बम बारूद से बढ़ा अस्थमा, कोई नहीं बताता,
धुएँ से प्रदूषण फैला, वहाँ बात नहीं होती।
सनातन के उत्सव अवसर, उपदेशों का ढेर लगे,
होली के अवसर पर, पानी से खेल बर्बादी लगे।
शिव पूजन पर दूध चढ़ाया, बच्चों को दे दो कहते,
दीपावली पर चले पटाखे, तो प्रदूषण इन्हें लगे।
सोची समझी साज़िश है, सनातन पर हमला तीखा,
जीवन शैली बदल गयी, सनातन पर हमला तीखा।
मंदिर जाना पौंगा पंथी, राम कृष्ण काल्पनिक लगते,
संस्कार संस्कृति दूषित, सभ्यता पर भी हमला तीखा।
अ कीर्ति वर्द्धन
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