मतदान कर
सुशील कुमार मिश्रमतदान कर मतदान कर
लोकतंत्र का सम्मान कर
मतदान कर
चाहे सुबह कर, चाहे दोपहर
फिर भी न हो तो, साम कर
मतदान कर
प्रतिदिन नहीं, होता है यह
अधिकार भी ,अपना है यह
फिर तो नहीं ,आनकान कर
मतदान कर
गांवों में कर ,शहरों में कर
अब तो समय ,पूरे दिनभर
अब तो न कर तु ,अगर मगर
मतदान कर
जिनका सुची में, नाम है
पहचान पत्र ,प्रमाण है
चाहे बूढ़ा हो या, जवान है
मतदान कर
सारे पुरुष! सब नारियां!
मतदान केन्द्र पधारियां
खुब सोच और विचारकर
मतदान कर
है राष्ट्रहित सर्वोपरि
ये राष्ट्रहित जे भी करी
उसके लिए कर फैसला
मतदान कर
मापदंड जाति का नहीं
मापदंड धर्म का हो नहीं
मापदंड वंश का भी नहीं
जो दिखाए राष्ट्र विकास कर
मतदान कर
शासन सुशासन जो करे
जन -जन की पीड़ा जो हरे
सबके हितों का ख्याल कर
मतदान कर
जो कहता हो करता भी हो
कहकर हमें ठगता न हो
जो तेरे मन की सुनता हो
और अपने मन की कहता हो
कोई ऐसा उम्मीदवार हो
जिससे सबका ही उपकार हो
मतदान कर
आलस्य अपना छोड़कर
संकीर्णता को तोड़कर
मतदान कर
नहीं सीमा पर तुझे जाना है
नहीं मारना नहीं मरना है
मतदान केंद्र को जाना है
मतदान तो ही करना है
सब दिन नहीं बस एक दिन
यह काम कर
मतदान कर
कोई भी उम्मीदवार गर
सही लगता नहीं तुमको अगर
फिर भी तू नोटा पर ही जा
मतदान कर
तरकश भी तेरे पास है
और तीर भी तेरे पास है
नहीं देर कर
संधान कर
मतदान करस्वरचित रचना
सुशील कुमार मिश्र
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