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मृदुल ह्रदय, नेह भावों का कायल

मृदुल ह्रदय, नेह भावों का कायल

अलौकिकता परम स्पंदन,
उरस्थ पुनीत कामनाएं ।
आशा उमंग उल्लास अथाह,
चितवन मधुर भावनाएं ।
कल्पना पट यथार्थ बिंब,
प्रति आहट स्वर सम पायल ।
मृदुल ह्रदय,नेह भावों का कायल ।।


हर पल अनंत अभिलाष,
मिलन हेतु सौम्य तत्पर ।
मुस्कान वसित भव्य छवि,
आस्था विश्वास परस्पर ।
चाहना तृषा असीम अनूप,
तृप्ति धार अनुपमा मायल ।
मृदुल ह्रदय,नेह भावों का कायल ।।


परिवेश बयार आनंदिका,
नैसर्गिक दृश्य मनमोहक ।
संसर्ग विचार पीठिका,
सृजन सृष्टि सदैव रोहक ।
अंतर बिंदु कमनीय स्पर्श,
अंग प्रत्यंग सदृश घायल।
मृदुल ह्रदय,नेह भावों का कायल ।।


जन्म जन्मांतर प्रणय अनुबंध,
रग रग दैविक आभा व्याप्त ।
जीवन पथ सुपर्याय भाषा,
सर्वत्र खुशियां विलुप्त संताप ।
शुभ मंगल अंतरंग तरंग,
प्रीत प्रतीक्षा शीघ्रता सायल ।
मृदुल ह्रदय,नेह भावों का कायल ।।


कुमार महेन्द्र(स्वरचित मौलिक रचना)
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