तेरी आँखों में उदासी का मंजर क्यूँ है,
आज हर शख्स हैरां परेशां सा क्यूँ है?हमने तो बोये थे फूल ही गुलशन में,
साथ खिला काँटों का दामन क्यूँ है?
कृष्ण के वंशज थे चीर के रखवारे,
आज दामन पर दाग लगाते क्यूँ हैं?
लूटते हैं जो मुल्क को सत्ता में बैठकर,
उन पर ये रियाया मेहरबान क्यूँ है?
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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