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शराबबंदी एक छलावा

शराबबंदी एक छलावा

शराबबंदी भी क्या गजब ढा रही है,
पांच सौ की बोतल हजार में बिक रही है।
शराबबंदी का पालन कराने वाले ही,
शराब की होम डिलेवरी करवा रहे हैं ।
अपराधियों को छोड़ शराबियों को पकड़ रहे हैं,
थाने में बैठे-बैठे आमद बढ़ा रहे हैं।
शराबियों के बदले निर्दोषों को फंसा रहे हैं,
छोड़ने के बदले नजराना वसूल रहे हैं।
शराबबंदी तो महज एक दिखावा है,
जनता के लिए तो महज एक छलावा है।
जहरीली शराब ने गजब का कहर ढाया,
चारों तरफ पसर गया मौत की काली साया,
इस जघन्य घटना से सरकार की तन्द्रा टूटी,
कानून के रक्षकों पर तब सरकार की कहर टूटी।
अपनी बदनामी को देख कड़ा रुख अपनाया,
पुलिस मह‌कमे को फिर अपना फरमान सुनाया ।
हर हाल में कसो शिकंजा शराब के ठेकेदारों पर ,
वरना नौकरी छोड़ चले जाओ अपने घरों पर।


सुरेन्द्र कुमार रंजन

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