सोनपुर मेला में सामयिक परिवेश हुई सम्मिलित
एशिया के सुप्रसिद्ध सोनपुर मेला में सामयिक परिवेश की टीम ने भव्य कार्यक्रम पेश किया। जिन में विशेष रूप से ग़ज़ल गायिकी और ग़ज़ल प्रस्तुति शामिल है इस मौके पर जहां ममता मेहरोत्रा की ग़ज़ल प्रस्तुत की गई।वहीं डा प्रतिभा रानी,गजलकारा सविता राज और हिंदी उर्दू के प्रसिद्ध शायर क़ासिम खुर्शीद,राकेश ने अपनी ग़ज़लें पेश की l
ममता मेहरोत्रा की गजल ने शमां बांध दिया,
ग़ज़ल की पंक्तियां है--
लाख जतन करने पड़ते हैं इश्क की मंजिल पाने को।
दिल हारा है तब जीता है मैने इक दीवाने को।।
डा क़ासिम खुरशीद की कई ग़ज़लों से माहौल शराबोर रहा।
वो गिरते हैं संभलते हैं सहारों पर नहीं चलते
अंधेरों के ये जुगनू हैं उजालों पर नहीं चलते
तमाशा देखने वाले तो बस साहिल पे रहते हैं
जिन्हें उस पार जाना हो किनारों पर नहीं चलते।
सविता राज ने सुंदर अंदाज में अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की।उनकी ग़ज़ल आज के संदर्भ में थी।
ग़मों में कब कहां कोई यहां दामन बढ़ता है।
जाइए सा मुस्कुराने पर जमाना रूठ जाता है।।
प्रतिभा रानी ने भी प्रभाव शाली ढंग से अपने कई कलाम सुनाए
इश्क में गर जो मेरी तासीर होगी
दिल तुम्हारा मेरी ही जागीर होगी
इस प्रकार ढाई घंटे तक सभी कलाकारों ने दर्शकों को बांधे रखा ।ग़ज़ल गायिकी लोक गीतों का रंग भी खूब रहा गया।सामयिक परिवेश की नृत्य समूह ने भी सभी का मनोरंजन किया। नृत्य टीम में राकेश,उज्ज्वल कुमार,राजन कुमार,अनुज कुमार,दिव्य कुमारी,आंचल कुमारी,मनोरंजन कुमार,ऋतु कुमार,नीतू नवगीत टीम भी बधाई की पात्र है।विदुषी साहित्यकार ममता मेहरोत्रा के मार्गदर्शन में इस आयोजन को याद रखा जाएगा । प्रशासन ने अंत में सामयिक परिवेश टीम को स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया।
-- सविता राज
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