मधुमालती
देख मधुमालती के पुष्प को,मन में आये कई विचार।
सुंदर सुरभित सुमन का सौरभ,
लाया है उपवन में बहार।
मधुरस से सिंचित कोमल लतायें,
तरुवर प्रियम का श्रृंगार।
लाल,सफेद,गुलाबी लघु पुष्प,
मधुप का अभिनव प्यार।
झाड़ियों में पुष्पित बेलें,
गुल्म में भी पुहुप का व्यापार।
सीखा हर हाल में हँसना तुमसे,
जीवन को किया तुमने साकार।
चाँदनी आयी विभा लुटाने,
हर्षित हो तुमपर सुकुमार।
मधुप का मकरंद समेटे,
काँधों पर गुँचों का भार।
प्रत्येक ऋतु में होते पुष्पित
प्रकृति मानती है आभार।
कितनी प्यारी कितनी अनोखी,
मधुमालती की तुम हो डार।
रीमा सिन्हा
स्वरचित लखनऊ-उत्तर प्रदेश
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