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दिन बीत गया सो बीत गया,

दिन बीत गया सो बीत गया,

वह लौट नहीं फिर आएगा।
कोई लाख यतन कर ले फिर भी,
मन बीती याद दिलाएगा।।
सब सोच कभी है लब हंसते,
कभी आंखें भी भर आती हैं।
दिन लौट भी सकता है शायद,
पर तारीखें लौट न पाती हैं।।
एकांत में पन्ने पलट पलट,
जीवन गाथा मन पढ़ लेता हूँ ।
जिस दिन था जो भी घटित हुआ,
तारीखों को चुम लेता हूँ।।
जिस दिन तक जीवन कायम है,
हंस हंस कर इसे बिताउंगा।
जीवन चक्र भले यों चलता रहे,
तारीखें भूल न पाउंगा।।
तारीखें मील की पत्थर हैं,
हर पत्थर से कुछ सिखा है।
वो भले ही पीछे छूट गए,
जीवन गाथा सब पर लिखा है।। 
 जय प्रकाश कुवंर
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