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अस्मिता इस देश की भर सक बचानी चाहिए।

अस्मिता इस देश की भर सक बचानी चाहिए।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
अस्मिता इस देश की भर सक बचानी चाहिए।
सोचिए , कैसी कहानी अब पढ़ानी चाहिए।।


विगत सदियों में विकल्पित वासना के सुर चढ़े।
ऐक्य समता की प्रतिध्वनि अब बढ़ानी चाहिए।।

पुराणों की उपनिषद् की चेतना जागी रहे।
पूर्व पुरुषो की कथाएँ अब सुनानी चाहिए।।


कपट से, दुर्नीति से जो बाँटते हैं जातियाँ।
आम जीवन की व्यथा सबको बतानी चाहिए।।


समय उजला हो रहा है रात धुल जाएगी अब।
शौर्य की निस्स्वार्थता की दृढ निशानी चाहीए।।


स्वयं में ही शिवा, राणा ,भगत - सा बनना पड़े।
राष्ट्रहित प्रतिबद्धता सबको सिखानी चाहिए।
रामकृष्ण
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