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राजभवन में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया

राजभवन में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया

पटना, 24 नवम्बर, 2024 को माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने संविधान दिवस के उपलक्ष्य में राजभवन के राजेन्द्र मंडप में ^^Demystifying One Nation-One Election** विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला का उद््घाटन किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा होने से इसके संबंध में लोगों के मन में स्पष्टता आयेगी।

राज्यपाल ने कहा कि राजभवन में समय-समय पर विभिन्न विषयों पर चर्चा करायी जा रही है। इससे पूर्व गुरू-शिष्य परंपरा, भारतीय ज्ञान परंपरा और Decoding Indian Budget from the Prism of Bihar आदि विषयांे पर व्याख्यान के कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं और संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आज ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय पर परिचर्चा हो रही है। इस विषय को लेकर लोगों के मन में अनेक भ्रांतियाँ और जिज्ञासाएँ हैं जिनका समाधान आवश्यक है। ऐसे विषय को समाज में लेकर जाने की आवश्यकता है ताकि लोगों के मन में इसके संबंध में स्पष्टता आ सके।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता और ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पर उच्चस्तरीय समिति के सदस्य श्री एन॰के॰ सिंह ने कहा कि बिहार के लोग परिश्रमी और मेधावी हैं। बिहार को विकसित होना चाहिए ताकि यह राज्य विकसित भारत का अंग बन सके। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं। भारत आर्थिक क्षेत्र में उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहा है। तकनीक और डी॰बी॰टी॰ के माध्यम से लोगों को लाभान्वित किया गया है। उन्होंने विकसित भारत के लिए बिहार को विकसित बनाने हेतु एक ब्लू प्रिंट तैयार करने का सुझाव भी दिया।

श्री एन॰के॰ सिंह ने कहा कि वर्ष 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की स्थिति बनी रही, परन्तु उसके बाद इस क्रम के टूटने से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होने लगी। पाँच वर्ष में अनेक चुनाव होने के कारण काफी राशि एवं श्रम बल का व्यय होता है, जिनका उपयोग देश के विकास के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान मंे सिर्फ एक संशोधन करके ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की स्थिति को स्थापित किया जा सकता है। आज विश्व भारत की ओर देख रहा है। भारत एक सारथी की भूमिका निभाते हुए विश्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

विशिष्ट वक्ता एवं अशोका विश्वविद्यालय में आइजैक सेंटर फाॅर पब्लिक पाॅलिसी की निदेशक और प्रमुख डाॅ॰ प्राची मिश्रा ने पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से भारत के संदर्भ में चुनावी चक्रों के सामंजस्य के व्यापक आर्थिक प्रभाव ¼macroeconomic impact of harmonizing electoral cycles - evidence of India½ के संबंध में विस्तार से बताया। उन्होंने भारत के बाहर संसदीय और राष्ट्रपति व्यवस्था के तहत होनेवाले चुनाव की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्येक वर्ष औसतन छः चुनाव कराये जाते हैं और इसपर होनेवाला भारी व्यय देश के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। बड़ी संख्या में पुलिस एवं अन्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी करनी पड़ती है। उन्होंने एक साथ और अलग-अलग चुनाव कराये जाने की तुलनात्मक स्थिति का भी उल्लेख किया।

दोनों वक्ताओं ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ संबंधी प्रश्नों के उत्तर भी दिये और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।

इस अवसर पर माननीय भूमि एवं राजस्व सुधार मंत्री डाॅ॰ दिलीप कुमार जायसवाल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डाॅ॰ एस॰ सिद्धार्थ, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री एच॰आर॰ श्रीनिवास, राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री राॅबर्ट एल॰ चोंग्थू, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, प्रतिकुलपतिगण एवं कुलसचिवगण, पटना में अवस्थित केन्द्र सरकार के कार्यालयों एवं संस्थानों के पदाधिकारीगण, विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष एवं सदस्यगण, विभिन्न संस्थानों के निदेशकगण एवं पदाधिकारीगण, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण व कर्मीगण तथा अन्य लोग उपस्थित थे।
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