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तुम मेरी हो

तुम मेरी हो

चाँदनी रात में खिल उठा दिल मेरा।
आज फिर से आ के बाग में।
अपने मेहबूब की यादों में।
खो गये आ के फिर हम यहाँ।।

हम तुम्हें याद करते रहते है
तुम हमें याद करते हो की नही।
दिलकी गैहराइयों में समाई हो तुम।
तुमसे बड़कर और कोई है ही नही।
चाँदनी रात में.......।।

तुमसे मेरा बहुत गैहरा नाता जो है।
दो दिल एक जान होते थे हम।
डर गये उस समय हम जामने से।
इसलिए हम एक हो पाए नही।
अब हाल दोनों का एक जैसा है।
न तुम सुखी हो न हम है सुखी।।
चाँदनी रात में..........।।

प्यार मोहब्बत कोई खेल होता नही।
दिलसे दिलका मिलन कोई खेल नही।
है मेरे बहुत आरमान दिल के सुनो।
मौत आने से पहले एक बार मिलो।
है अगर तुमको मुझसे प्यार सच्चा।
तो आकर के तुम बस मिलो।।

चाँदनी रात में खिल उठा दिल मेरा।
आज फिर से आ के बाग में।
अपने मेहबूब की यादों में।
खो गये आ के फिर हम यहाँ।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई


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