"ग्लोरी ऑफ बिहार" नामक पुस्तक में डाक टिकटों के द्वारा बिहार के उज्जवल परंपरा को दिखाया गया है।डाक टिकटों के माध्यम से हम बिहार के इतिहास को देख और जान सकते हैं। इसके माध्यम से हम अपने अतीत को भी झांक कर देख सकते हैं "यह उद्गार बिहार के राज्यपाल महामहिम श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारतीय डाक विभाग द्वारा ज्ञान भवन, पटना में आयोजित बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी में व्यक्त किए।
भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी की शुरुआत बिहार के राज्यपाल महामहिम श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शांति के दूत कबूतर को उड़ा कर की।बैंड बाजे के साथ राज्यपाल महोदय का भव्य स्वागत किया गया।
महामहिम राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, पूर्व सांसद व पद्म भूषण डॉ सी पी ठाकुर, गांधी संग्रहालय के निदेशक अंजनी कुमार सिंह एवं बिहार के मुख्य डाक महाध्यक्ष श्री अनिल कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
मुख्य डाक महाध्यक्ष श्री अनिल कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम में बहुमूल्य समय देने के लिए आभार व्यक्त किया। इसके बाद ऋषि - मुनियों पर पिक्चर पोस्टकार्ड का अनावरण महामहिम राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों द्वारा किया गया। इसके बाद " ग्लोरी ऑफ बिहार" एवं "पोस्टल हेरिटेज ऑफ बिहार" नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। चाणक्य, चन्द्रगुप्त और अर्थशास्त्र पर डिजिटल आवरण का विमोचन किया गया।
राज्यपाल महोदय ने बच्चों से अनुरोध करते हुए कहा कि मोबाइल से दूरी बनाए और डाक टिकटों को संग्रह करने का प्रयास करें क्योंकि यह एक ऐसी धरोहर है जिसके माध्यम से हम अपनी उज्जवल परंपराओं के संबंध में जान सकते हैं।
इसके बाद राज्यपाल महोदय ने फीता काट कर बिहार डाक टिकट प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का विशेष आकर्षण पटना से 31 मार्च 1774 ई० में जारी "ताम्र टिकट " एवं 55 वर्ष बाद जारी " पेन्नी टिकट" (कागज का टिकट) रहा । प्रदर्शनी में लगभग 12000 टिकटों को 400 फ्रेमों में प्रदर्शित किया गया था।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में पद्मभूषण स्वर्गीय शारदा सिन्हा पर विशेष अनावरण का विमोचन पद्मश्री शोभना नारायण ने किया। इस अवसर पर "बिहार का सशक्त महिला नेतृत्व वाला समाज" पर पिक्चर पोस्टकार्ड जारी किया गया। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ शांति राय, सुश्री श्रेयसी सिंह एवं डॉ एन विजयलक्ष्मी मौजूद रहीं।
इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न हिस्सों से करीब 500 बच्चे विभिन्न प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए अपने प्राचार्य, शिक्षक एवं अभिभावकों के साथ आए हुए थे।
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