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लड़की

लड़की

जितेन्द्र नाथ मिश्र
रंजीत बाबू के विवाह के पांच वर्ष हो गए। पर कोई संतान नहीं हुआ। इसलिए वो बहुत दुखी रहते थे। आखिर कार उनके घर में किलकारी गुंजने लगी। उन्हें एक पुत्री हुई। नाम रखा नवोदिता। नवोदिता अब बड़ी हो गई। रंग तो सांवला था पर तीखे नाक-नक्श, सुराहीदार गर्दन,कमर तक लटकता घने लम्बे बाल, दुबला पतला शरीर या यों कहें सुडौल शरीर , लम्बी कद- खाटीउसकी खुबसूरती को चार चांद लगा रहे थे।
नवोदिता पढ़ने में अब्बल तो थी ही स्कूल में होने वाले वार्षिक खेल कूद प्रतियोगिता में भी भाग लेती। लम्बी कूद और वाधा कूद में उसके सामने कोई प्रतियोगी टीक नहीं पाते।
शाम में प्रतिदिन एक घंटा टीवी के पास बैठ राष्ट्रीय चैनलों पर समाचार सुनती। जब वह सुनती की अमूक जगह पर आतंकी हमला हुआ है जिसमें सेना के एक जवान शहीद और दो जवान घायल हो गए हैं तो वह बहुत ही बेचैन हो जाती। इंटरमीडिएट की परीक्षा भौतिक, रसायन और गणित के साथ अच्छे अंक के साथ उत्तीर्ण हो गई। उसने पिताजी से कहा बाबूजी मैं सेना मैं जाना चाहती हूं। मुझे एन डी ए की तैयारी करने के लिए किसी अच्छे कोचिंग में नाम लिखवा दो।
रंजीत बाबू ने कहा तुम लड़की हो। शारीरिक और मानसिक स्थिति से तुम कमजोर हो और कमजोर ही रहोगी क्योंकि यह प्रकृति का नियम है। तुम्हारे लिए इंजिनियर की पढ़ाई करना सबसे अच्छा और आसान रहेगा, कहकर एक कोचिंग संस्थान में नामांकन करा दिया। पिताजी के आदेश की अवहेलना करना उसके बस की बात नहीं थी। उसने मन ही मन संकल्प कर लिया कि अच्छे नम्बर से कम्पटीशन निकाल लेना है जिससे एक अच्छे कालेज में नामांकन हो‌ सके। उसने अच्छे अंक से प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली। रंजीत बाबू ने कम्प्यूटर साइंस में उसका दाखिला करा दिया। सभी सेमेस्टर में उसे अच्छे अंक प्राप्त हुए। अंतिम सेमेस्टर में देश विदेश की बड़ी बड़ी कम्पनियां बच्चों का कैम्पस सैलेक्शन के लिए आने लगीं। एक जानी मानी कम्पनी में उसका कैम्पस सैलेक्शन हो गया।
पुने की शाखा में उसकी पोस्टिंग हो गयी।
उसे पता चला कि पुने में कोई कोचिंग संस्थान है जो एस एस बी की तैयारी करवाता है। वह घरवालों को बिना बताए उस कोचींग में नामांकन करा लेती है। शनिवार और रविवार को नियमित रूप से कोचिंग जाने लगी। शनिवार को लिखित परीक्षा की तैयारी एवं किसी विषय पर सामुहिक वाद विवाद करवाया जाता था और रविवार को विभिन्न प्रकार के दौड़ और कूदने का प्रशिक्षण दिया जाता था। परीक्षा फार्म भरने के लिए विज्ञापन आते ही वह फार्म भर देती है। लिखित परीक्षा का केंद्र चेन्नई है। फ्लाइट से वह चेन्नई जाकर परीक्षा में सम्मिलित होती है। लिखित परीक्षा का परिणाम उसके पक्ष में आता है। शारीरिक और बौद्धिक परीक्षा का केंद्र बोध गया जाता है। अवकाश लेकर वह बोधगया स्थित मिलिट्री केंद्र पहूंच जाती है। मिलिट्री केंद्र के दरवाजे पर ऐडमिट कार्ड की जांच करने के बाद उसे मिलिट्री केंद्र के अंदर जाने दिया जाता है। अंदर एक वरीय पदाधिकारी उसे उसके रहने के लिए आवंटित कमरे के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराते हुए उसका मोबाइल नियत स्थान पर जमा करने का आदेश देते हैं।
पदाधिकारी महोदय के आदेश का पालन करते हुए मोबाइल जमा कर वह अपने कमरे में जाती है। कमरे में अपना बैग रख नाश्ते के लिए कैंटीन जाती है। नाश्ते का समय समाप्त हो रहा था अतः उसे केवल एक कप चाय और दो बिस्कुट ही मिलता है। दोपहर में उसके मनपसंद भोजन मिल जाता है। भोजन कर वह कमरे में वापस आ कुछ देर आराम करती है।शाम चार बजे से उसका आई क्यू टेस्ट होना था ।चार बजने के आधा घंटा पहले उसके ग्रुप के बच्चों को सेंट्रल हॉल में बैठाया जाता है। सभी परीक्षार्थियों को एक सादा कागज और एक पेन उपलब्ध करा दिया जाता है।
परीक्षक महोदय सभी परीक्षार्थियों को निर्देश देते हुए कहते हैं सामने लगे स्क्रीन पर मात्र दस सेकंड एक अस्पष्ट आकृति दिखाई देगी। उस आकृति क्या संदेश देना चाहती है, उसे पांच मिनट के अंदर लिखना है। पश्चात् स्टेज पर आकर उसे पढ़ते हुए अपना विचार बताना है। यदि आप इसमें पास कर जाते हैं तो अगले राउंड में पहूंच जाएंगे जो पांच दिनों का होगा। यदि आप दुर्भाग्यवश नहीं पास कर पाते हैं तो आप प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।
नवोदिता पहले राउंड में ही प्रतियोगिता से बाहर हो गई। पर वह हिम्मत नहीं हारी।
एस एस बी की प्रतियोगिता परीक्षा वर्ष में तीन बार होती थी। बार बार प्रतियोगिता में भाग लेती। कभी लिखित परीक्षा में तो कभी अंतिम राउंड में अनुत्तीर्ण होती। आखिर कार वह आठवीं बार वह एस एस बी अंतिम राउंड में भी सफल हो जाती है। मेडिकल टेस्ट में भी वह पास हो जाती है।उसे लेफ्टिनेंट के पद पर पदभार ग्रहण करने हेतु नियुक्ति पत्र मिलता है।
नियुक्ति पत्र में लिखा था पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अंदर रामगढ़ कैंट में सुबह दस बजे तक योगदान देना है।
नियुक्ति पत्र प्राप्त होते ही वह पूणा जाकर कम्पनी से मिला लैपटॉप जमा कर त्याग पत्र समर्पित कर देती है । पश्चात् घर जाकर अपने पिताजी को यह खुशखबरी देते हुए कहती है पापा अगले सप्ताह में योगदान करने जा रही हूं।
सुनते ही उसकी मां और पिताजी ने कहा बेटी तू अब बालिग हो गई है। तुम्हे जो सही लगे करो। पर हमलोग तुम्हारे इस फैसले से खुश नहीं हैं। क्योंकि तू लड़की है। तू कठोर दिल पुरुष नहीं है जो खून खराबा करे। औरतों का तो स्वाभाविक गुण प्रेम और ममता होता है।
नवोदिता बहुत प्रेम से अपने मां पिताजी से कहती है आपने सही कहा नारियों में प्रेम और ममता स्वाभाविक गुण है। वहीं गुण तो मुझे इस क्षेत्र में कदम बढ़ाने के लिए बाध्य किया है। मुझे इस देश की मिट्टी से प्रेम है। आप लोग शायद यह भूल गए हैं कि दुर्गा नारी ही तो थी जो शुम्भ -निशुंभ जैसे अनेकों राक्षसों का वध किया था और महिषासुरमर्दिनी के नाम से विख्यात हुई। मैं भी महिषासुरमर्दिनी बन देश के दुश्मनों का वध करूंगी। यह मेरा पहला और अंतिम प्रण है। आप लोग मुझे मेरे चुने कर्तव्य पथ पर चलने में सहयोग करें। आप मुझे आशिर्वाद दें कि मैंने जो पथ चुना है उसमें सफल हो सकूं। वह दो दिन अपने घर पर रहती है। तीसरे दिन नियत समय के अंदर रामगढ़ कैंट जाकर योगदान दे देती है। उसे रहने के लिए कैंट के अंदर ही महिला छात्रावास का एक कमरा आवंटित कर दिया जाता है जिसमें मनोरंजन के लिए एक टीवी लगा है। सुबह सुबह उसके कमरे में एक हिंदी और एक अंग्रेजी समाचार पत्र पहूंच जाता है। सुबह सुबह एक जवान एक कप चाय और दो बिस्कुट पहूचा दिया करता है। व्यायाम के लिए एक एक पी०टी०शू दो हाफ पैंट और दो टी शर्ट मिलता है जिसे पहनकर व्यायाम कर सके।
सप्ताह में दो दिन दस किलोमीटर का दौड़ होता था जिसे आधे घण्टे में पूरा करना पड़ता। दो दिन पीठ पर दस किलो का बालू से भरा बोड़ा बांध कर केहुनी और घेटने के बल दो किलोमीटर चलना पड़ता था। दो दिन पीठ पर दस किलो का बालू से भरा बोड़ा और हाथ में एक राइफल लेकर पांच किलोमीटर दोड़ना पड़ता था। एक दिन लम्बी कूद, ऊंची कूद ,बाधा दौड़ होता था।तीन महीने का ट्रेनिंग पूरा करने के बाद उसे सेना की वर्दी पहनने को मिलता है। कर्नल आर०के०सिंह सभी नवनियुक्त लेफ्टिनेंटों को अपने हाथ से थल सेना की टोपी पहनाकर सम्मानित करते हुए थल सेना का मूल मंत्र याद कराते हुए देश सेवा का प्रतिज्ञा करवाते हैं।
अचानक खबर आती है कि लगभग सौ नक्सलियों ने पारसनाथ थाने पर हमला कर थाने में रखे शस्त्र को लूट कर पारसनाथ की पहाड़ियों पर छीपे हैं। थाने में नियुक्त जवानों से मुठभेड़ भी हुआ था। जिसमें दो जवान शहीद हो गए और पांच गम्भीर रूप से जख्मी है। जिनका इलाज एक प्राईवेट अस्पताल में चल रहा है। जिलाधिकारी ने त्राहीमाम संदेश भेजकर सेना से मदद मांगी है।
कम्पनी कमांडर ने नवोदिता को सेना की एक टुकड़ी लेकर नियत स्थल पर कूंच करने का निर्देश देते हैं। नवोदिता तुरंत अपनी टुकड़ी को प्रस्थान करने हेतु तैयार होने का निर्देश देती है। पलक झपकते ही उसकी टुकड़ी साज़ों सामान के साथ तैयार हो जाती है । वह अपनी टुकड़ी के साथ सेना की गाड़ी पर बैठ पारसनाथ पहाड़ी के लिए कूच कर जाती है।
धीरे-धीरे पोजीशन लेते हुए नवोदिता के साथ सभी जवान आगे बढ़ते जाते हैं। अचानक पहाड़ी पर छीपे नक्सलियों द्वारा गोलीबारी की जाती है। जिससे एक जवान घायल हो जाता है। सेना भी जवाबी कार्रवाई करते हुए आगे बढ़ती जाती है। कुछ ही पल में सेना ने उस स्थान को चारों तरफ से घेर लेती है और एनाउंसर करती है वो आत्मसमर्पण कर दें। पर नक्सली गोलियां बरसाते हुए भागने लगते हैं। मुठभेड़ में पंद्रह नक्सली मारे जाते हैं। कुछ घायल भी हो जाते हैं।घायल नक्सली भाग नहीं पाता है इसलिए आत्मसमर्पण कर देता है। शेष भागकर बगल के गांव में छुप जाता है। जिन्हें ढूंढ कर गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस तरह पहले अभियान में वह सफल हो जाती है।
कोर कमांडर उसे कयी अभियान का नेतृत्व करने का भार सौंपते हैं। वह सफलता पूर्वक सारे अभियान का नेतृत्व करती है। उसके नेतृत्व करने की शैली, अदम्य साहस, कुशल संचालन के लिए अनेकों बार मेडल देकर उसे सम्मानित किया जाता है।
आज वह पदोन्नति पाकर लेफ्टिनेंट जनरल बन गई है। पर उसकी कार्यशैली, आचरण और व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है। वह सेना के जवानों से आत्मीयता से बातें करती है। रक्षा बंधन के दिन सेना के जवानों के कलाई पर राखी बांधती। होली में सबों के साथ होली खेलती।
पाकिस्तान से सटा द्रास, कारगिल, जैसे अतिसंवेदनशील पोस्टों पर पूरी ईमानरतीदारी के साथ देश की रक्षा करती।उसकी कर्त्तव्यपरायणता,दृढ़ आत्मविश्वास और अदम्य साहस को देखते हुए अनेकों विरता सम्मान मिल चुका थी।
थल सेनाध्यक्ष के निर्देश पर थल सेना के उपप्रमुख ने एक विशेष मिशन के लिए तीस पदाधिकारियों का चयन किया। उन्हें विशेष प्रशिक्षण के लिए एक गुप्त स्थान पर ले जाएगा। सभी को कुछ कोड बताया गया। कुछ प्रलोभन देते हुए विशेष जानकारी दी गई। उन सभी को यह निर्देश भी दिया गया कि इस रहस्य को गुप्त रखना है। अचानक थल सेना अध्यक्ष वहां पहुंच कर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने लगे। कयी दिनों तक भुखा रखा जाने लग। उनमें इतनी साहस नहीं रही कि और अधिक यातनाएं झेल सके फलत: अनेकों पदाधिकारी टूट गये और उप प्रमुख द्वारा दिए गये गुप्त कोड और सारी विशेष जानकारी जो उन्हें उपप्रमुख ने दिया था साझा कर दिया।
जो नहीं टूटे उनमें नवोदिता भी थी। सेनाध्यक्ष ने नवोदिता और अन्य जो टूटे नहीं थे,को उनकी बहादुरी को सलाम करते हुए बताया कि उन सभी को दूसरे देशों की जासूसी करने के लिए चुना गया है। नवोदिता को पाकिस्तान की जिम्मेदारी सौंपी गई।
नवोदिता ने थल सेना अध्यक्ष को सैल्यूट देते हुए अनुरोध किया कि उसे कुछ महीनों के लिए अवकाश दिया जाए जिससे कश्मीर में रह कर उर्दू लब्ज़ सीख कर अपनी जवाबदेही का सही ढंग से निर्वहन कर सकूं। सेना अध्यक्ष ने तीन महीने के लिए कश्मीर में गुप्तचर के रूप में नियुक्त कर दिया जिससे वह गुप्तचर का प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए उर्दू लब्ज़ भी सीख सके। प्रशिक्षण प्राप्त करते ही वह पाकिस्तान जाने के लिए कूच करती है। सबसे पहले वह बिहार की राजधानी पटना आती है। यहां से दुर्गापुर कलकत्ता होते हुये बंगला देश की सीमा में प्रवेश करती है।अब वह नवोदिता नही रही।कहीं भी जाती अपना नाम हसीन बानो बताती। भारतीय पहनावा के स्थान पर बुर्का पहनने लगी ‌इससे सबसे ज़्यादा फायदा यह मिला कि उसका चेहरा छुपा रहने लगा। बहुत सतर्कता के साथ आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान की सीमा पार कर जाती है।उसका बोल-चाल ,पहनावा- ओढ़ावा को देखकर कोई नहीं बोल सकता कि यह भारतीय है।
कराची शहर में एक किराये का मकान लेकर रहने लगी। कोई उससे अकेले रहने का कारण पूछता तो बताती मेरे शौहर फौज़ी थे। वो देश के लिए कुर्बान हो गये। मेरे घरवालों ने मुझे घर से वेदखल कर दिया। मेरे वालिद ने मुझे सहारा देना चाहा पर मैंने इंकार कर दिया।
वालिद पेशाबर शहर के मौलवी हैं,से शरीर पर बैठे जिन्न और जिन्नात को उतारने के लिए,घर में खुशहाली और बरक्कत के लिए बच्चों को तालिम में मन लगे,इन सभी चीजों केलिए ताबिज बनाना सीखा था। लोगों की खुशहाली के लिए मैं ताबीज बनाती हूं उससे जो आमदनी होती है उससे से गुजर बसर कर लेती हूं।
इस तरह मुहल्ले के लोगों को झांसे में रख रहने लगी।और उसकी ताबीज की धडक्के से विक्री होने लगती है ‌
धीरे धीरे वह वोटर आई कार्ड, टैक्स भरने के लिए पाकिस्तानी पैन कार्ड बनवा ली जिससे वह पासपोर्ट बनवा सके।कुछ दिनों बाद पासपोर्ट भी बन गया ।अब वह पूरी तरह पाकिस्तानी बन गई।
अब वह अगले मिशन की तैयारी में लग गयी। सरकार को तबाह करने और पाकिस्तान को गृह युद्ध में ढकेलने के लिए औरतों को अपने हक़ के लिए लड़ने के लिए उकसाने लगी। आग तेजी से फैलने लगा। पाकिस्तान के आतंकी संगठन के दो सुरमाओं से प्यार का नाटक कर पहले तो अपने जाल में फंसाती है और तब दोनों सुरमाओं को एक दूसरे के खिलाफ भड़काती इस तरह भारत में आतंक फैलाने वाले बड़े बड़े आतंकी एक दूसरे का कत्ल करने लगे। सरकार हैरान और परेशान हो गयी। इधर सरकार के विरुद्ध कत्ल के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई। इधर हसीन बानो उस शहर को छोड़कर पेशावर चली जाती है। वह साफ्टवेयर इंजीनियरकी पढ़ाई की ही थी।पेशावर की सैनिक छावनी के बाहर सड़क पर बैठ ताबीज बेचने लगती है। ताबीज में वह एक साफ्टवेयर डाउनलोड कर देती है जो ऐक्टीव होते ही ताबीज पहनने वाले का लोकेशन और किससे क्या बात कर रहा है सीधे भारत के रक्षा मंत्री और थल सेना अध्यक्ष तक संवाद पहूंच जाए।
उसकी चाहत थी कि पाकिस्तान सेना प्रमुख को अपने प्यार जाल में फांस उससे दोस्ती कर लें औरभारत विरोधी गुप्त पता कर संवाद थल सेना प्रमुख तक पहुंचा दे।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख उसकी बात करने की अदा से उसपर मोहित हो गया। उसने बार बार मुखड़ा दिखाने का अनुरोध किया। उसने भी शर्त रख दिया कि मैं मुखड़ा दिखा दूंगी व शर्तें अपनी टोपी मेरे कदमों पर रख दो। वह अपने पद को भूलकर टोपी उसके पैरों पर रख बगल में बैठते ही कहा चलो कहीं एक बड़े से रेस्तरां में चलते हैं,कुछ चाय नाश्ता हो जाएगा और गप भी कर लेंगे।
हसीन बानो ने कहा हुजूर आज नहीं किसी और दिन क्योंकि अभी ताबीज जो बेचना है । यदि यह बेचूंगी नहीं तो अपने बुजुर्ग मां बाप को क्या जवाब दूंगी। उसने पहले ही बातचीत में बताया था कि बुढे मां बाप की जवाबदेही उसपर है क्योंकि उसका छोटा भाई दंगे में मारा गया था।
उसने बहुत मिन्नत करते हुए एक बोतल पानी की मांग किया । सैनिक पदाधिकारी टोपी उठाकर पहन लेता है और कहता है अभी कैंटीन से पानी लेकर आता हूं। हुजूर आप तो टोपी लेकर जा रहे हैं। कहीं कोई काम जाए तो आप नहीं आ पाएंगे। टोपी अगर आप छोड़कर जाएंगे तब जल्दी से पानी लेकर आ जाएंगे। पदाधिकारी उसकी बातों में आकर टोपी छोड़ दिया और पानी लाने चला गया।इधर हसीना बानो जल्दी से उसकी टोपी में लगे पीतल के बैच के अंदर वह साफ्टवेयर इंस्टॉल कर देती है।
जब सैन्य पदाधिकारी पानी लेकर आता है तो पानी पीकर उससे कुछ देर गपशप करती है। थोड़ी देर बाद कहती है हुजूर अब देर हो रही है अब इजाजत दें। कहकर अपना सारा सामान समेट लेती है,खुदा हाफ़िज़ कह चल देती है।
कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे सभी साफ्टवेयर को एक्टीवेट करने लगती है और सभी संदेश रक्षा मंत्री और थल सेना अध्यक्ष के पास पहूचने लगते हैं। सबसे अंत में पाकिस्तानी थल सेनाध्यक्ष का साफ्टवेयर एक्टीवेट करती है। सारे अतिसंवेदनशील और अतिगोपनीय सूचनाएं थल सेनाध्यक्ष के पास पहुंचने लगते हैं।
नारी आंदोलन, बड़े बड़े आतंकी के मारे जाने से पहले ही पाकिस्तान की सरकार अस्थिर हो गई थी। इस गोपनीय संदेश को भारत तक पहूचने की जानकारी पाकिस्तान की मिडिया ने अपने अपने टीवी चैनलों पर प्रसारित कर दिया। किसी मिडिया ने सरकार पर तो किसी ने सेना के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। इधर हसीना बानो अपना काम करते हुए म्यांमार,चीन होते हुए भरत वापस आ जाती है ‌
भारत सरकार ने उसे भारत रत्न देकर उसे सम्मानित किया। सचमुच नवोदिता भारत रत्न ही तो थी जिसने ऐसे जोखिम भरे कार्य को सफलतापूर्वक कर भारत आई ही नहीं पाकिस्तान की रीढ़ भी तोड़ दी।
आज नवोदिता के माता-पिता गर्व कर रहे हैं अपनी नवोदिता पर । गलती भी कबूल करते हुए कहते हैं मुझे अफशोष है कि जिस बच्ची को हमने जन्म दिया उसे मैं पहचान नहीं सकी।
कुछ महीने पहले ही वह सेवा निवृत्त हो गई। पर रक्षा मंत्रालय ने उसे सम्मानित करते हुए सलाहकार के पद पर नियुक्त कर लिया। अब देश की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा से सम्बन्धी अपना विचार रक्षा, विदेश और गृह मंत्रालय की बैठक में रखती। जिसे सभी स्विकारा करते


जितेन्द्र नाथ मिश्र

कदम कुआं, पटना।


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