काश ऐसा होता
लड़के का विवाह है होता ,लड़की की होती है शादी ।
विवाह में होता विशेष वाह ,
तब शादी होता है विवादी ।।
बारात जाती है लड़कों की ,
विशेष आतिथ्य हो दारू ।
वही हैं वी आई पी मेहमान ,
आर्केस्ट्रा में होते तकरारू ।।
चढ़ता जब शराब का नशा ,
तब उसे तो शबाब चाहिए ।
नर्तकी आ जाए ये सामने ,
बस बातें लाजवाब चाहिए ।।
विशेष वाह में कचड़ा होता ,
बाराती शराती जाते तन ।
बकझक होते मारपीट होती ,
ठंढा होता तब सबके मन ।।
बारात मालिक रखे नियंत्रण ,
हॅंसी खुशी ये गम न डुबोता !
समाप्त होता दारू प्रचलन ,
कितना सुंदर काश ऐसा होता !!
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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