आती है तेरी स्मृति चुपके से |
डॉ रामकृष्ण मिश्र
आती है तेरी स्मृति चुपके से को मन सहला जाती।
खिल जाते रोमांच भाव ,चुपके- चुपके बहला जाती।।
यहाँ न कोई चंपा बेला, गमले की सौगन्ध कहूँ
बहुत पुरानी बातों को अधुनातन क्यों अनुबंध कहूँ।
तलछट की घबराहट सी साँसों को भी दहला जाती।।
बाल रात्रि युवती बन बैठी और ओढ़ने लगी सुबह
किरणों की धारा उदयाचल से अब होने लगी प्रवह।
दूर कहीं चकवे की बरबस बेचैनी बतला जाती।।
पाखी के चहकन में गुंफित एक टेर का मौसम सा
अन्तर्तम में लगी जगाने विचलित रसमय माजुम सा।
आश्वासन की वैध चासनी सी आभा दिखला जाती ।।
रामकृष्णहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com