Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

माँ बिन सब सूना

माँ बिन सब सूना

जिन्दगी को मेरी वीरान कर माँ कहाँ तू चली गई,
नर्क-सी जिन्दगी जीने को क्यों छोड़ तू चली गई।
स्नेह प्यार से वंचित कर ना जाने कहाँ तू चली गई,
ममता से वंचित कर ना जाने कहाँ तू चली गई।

तेरे दर्शन को नयना तरसे ना जाने कहाँ तू चली गई,
तन्हा छोड़ स्वार्थी दुनिया में ना जाने कहाँ तू चली गई ।
रोते-बिलखते बच्चों को क्यों अनाथ बनाकर चली गई,
हंसते-खेलते परिवार को क्यों वीरान बनाकर चली गई।

तुझ बिन घर-परिवार सब सूना सूना - सा लगता है ,
घर अब घर लगता नहीं यह श्मशान - सा लगता है।
एक बार भी आकर माँ मुखड़ा अपना दिखला जाओ,
उजड़ी मेरी दुनिया को माँ फिर से आबाद तू कर जाओ ।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ