मैं जिया करूॅं तुझे जिन्दगी ,
मुझे भी तू जिन्दगी जीने दे ।जी लेने दे मुझे भी जिन्दगी ,
जीवन का रस मुझे पीने दे ।।
अभी आरंभ हुआ है जीवन ,
मुझे जीवन को तो सीने दे ।
जीवन तो दिया है सृष्टि यह ,
तू मुझे जीवन के नगीने दे ।।
तन से निकले मन के कचड़े ,
तन में इतने मुझे पसीने दे ।
होऊॅं शहीद रण में लड़कर ,
छत्तीस इंच चौड़ा सीने दे ।।
पल भर में अरि ठंढा करूॅं ,
मस्तिष्क मेरे वही मशीनें दे ।
मैं जिया करूॅं तुझे जिन्दगी ,
मुझे भी जीवन तू जीने दे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com