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आंख की पट्टी तब खुलती है,

आंख की पट्टी तब खुलती है,

जब कोई श्मशान में जाता है।
फूल के सेज पर सोने वाले को,
वहाँ सुखे काठ पर सोये पाता है।।
जो कभी आग से भय खाता था,
आज आग के लपटों में घिरा है।
जो कभी जमीन पर सोता न था,
आज श्मशान भूमि पर पड़ा है।।
यही है जीवन की सच्चाई,
इसे खुले मन से स्विकार करना है।
अपने धन, बल, ओहदे आदि का,
जीवन में कभी दंभ नहीं भरना है।। 
जय प्रकाश कुवंर
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