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बच्चों की शरारतें

बच्चों की शरारतें

बच्चों की होती बचकानी ,
बच्चों की होती शरारतें ।
बच्चे जो शरारत हैं करते ,
भली होतीं उनकी आदतें ।।
तुतली भाषा मधुर वाणी ,
बड़ी प्यारी सी लगती है ।
ठुमुक ठुमुक चाल चलना ,
भोली भाली ये लगती है ।।
छोटी छोटी बचकानी करे ,
मंद मंद वह मुस्कुराता है ।
मन का विह्वल निश्छल ,
जन मन को लुभाता है ।।
जन मन को हर्षित करता ,
किसी से भय न खाता है ।
निज बचपन छुटा कबका ,
बच्चे को देख अघाता है ।।
बड़ी प्यारी शरारत इनकी ,
बड़ा प्यारा ये मुस्कान है ।
मातपिता धन्य धन्य होते ,
गदगद होता अरमान है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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