साहित्य सम्मेलन शारदा सिन्हा की स्मृति में प्रतिवर्ष दिया करेगा स्मृति-सम्मान
- आयोजित हुई शोक-गोष्ठी, सम्मेलन अध्यक्ष ने कहा राष्ट्रीय-गौरव थीं शारदा जी।
पटना, ६ नवम्बर । बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन विश्रुत लोक-गायिका बिहार-कोकिला शारदा सिन्हा की स्मृति में प्रतिवर्ष उनके नाम से स्मृति-सम्मान दिया करेगा। यह सम्मान लोकसंगीत में मूल्यवान अवदान देने वाली गायिका को प्रदान किया जाएगा।
यह घोषणा सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने सद्यः दिवंगता शारदा सिंहा के निधन पर, सम्मेलन भवन में आयोजित शोक-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए की। उन्होंने अपने शोकोदगार में कहा कि स्पन्द-प्रदायी कोकिला-कंठ से लोकधुन और लोक-परंपराओं को अप्रतिम ऊँचाई प्रदान करने वाली विश्रुत गायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा लाखों हृदयों में करुण रागिनी भर कर विदा हो गयीं हैं। अब वो किसी मंच पर गाती हुईं दिखाई नहीं देंगी, किन्तु जबतक पृथ्वी पर सूर्योपासना का महापर्व छठ आहूत होता रहेगा, शारदा जी अनन्त काल तक अपने स्वर में जीवित रहेंगी। भारत के गाँवों में, विशेषकर बिहार और पूर्वांचल में, जब भी कोई मंगल अनुष्ठान होगा, उनके गाए गीतों के स्वर शताब्दियों तक हमारे मन-प्राण को झंकृत करते रहेंगे!
डा सुलभ ने कहा कि शारदा जी बिहार की 'राष्ट्रीय-गौरव' थीं, जिन पर इस महान राज्य को सर्वदा गौरव की अनुभूति होती रहेगी। छठ-गीतों के माध्यम से वो संपूर्ण विश्व में अपनी कंठ-ध्वनि पहुँचाने में सफल रहीं। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन उनकी सारस्वत स्मृति को जीवित रखने के निमित्त उनके नाम से प्रतिवर्ष एक सम्मान दिया करेगा, जो लोक-संगीत में मूल्यवान अवदान देने वाली किसी गायिका को प्रदान किया जाएगा।
कुमार अनुपम ने कहा कि शारदा जी के नाम से एक लोक-संस्कृति-संस्थान स्थापित की जानी चाहिए, जिसमें लोक-संगीत में प्रशिक्षण की व्यवस्था के साथ,पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाए। बाँके बिहारी साव ने कहा कि शारदा जी अभूतपूर्व प्रतिभा की गायिका थीं। वे अपनी युवावस्था में ही बड़ी ख्याति प्राप्त कर चुकी थी। सांस्कृतिक-जगत में वो सदा अमर रहेंगी।शोक-गोष्ठी में, सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह, सुख्यात लेखक चित्तरंजन लाल भारती, डा अमरनाथ प्रसाद, नीता सहाय, डा पुरुषोत्तम कुमार, सूबेदार नंदन कुमार मीत, कुमारी मेनका, वायुसेना के अवकाश प्राप्त अधिकारी संजय कुमार आदि ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। सभा के अंत में कुछ क्षणों का मौन रहकर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई।
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