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जेकरा जतने गुमान बा।

जेकरा जतने गुमान बा।

ओकर ओतने नुकसान बा।।
धन, बल, रूपया पैसा,
सब कुछ इहाँ झंड बा।
कुछ भी साथ दिही ना,
फिर काहे के घमंड बा।,
चार गो प‌इसा भ‌इल आ,
मन बौरा ग‌इल।
रूप दशा ह‌‌इले नइखे,
देहिया अकड़ा ग‌इल।।
बात बात पर लड़े खातिर,
मन तैयार बा।
कारण कुछ होखे ना,
बहाना त हजार बा।।
सब केहू थू थू करी,
केहू लगे सटी ना।
गुमानी के बात ओकर,
केकरो पेट में अॅटी ना।
गंजा के नाखून होई,
आपन माथा लहुलुहान करी।
जेकरा बेसी गुमान होई,
आपन नुकसान कर के मरी।।

जय प्रकाश कुवंर
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