एक ही गुनाह तो इस दिल ने है किया।
दिल तेरा पाकर , है अपना दिल दिया।।इसी गुनाह की तो सजायें , हर पल पा रहा हूँ।
हर पल तुझे दिल में बैठाए, जिये जा रहा हूँ।।
जैसे सबको मौत आती है, मुझे भी आनी है।
दिल में तुझे लिए चला जाना, प्रेम की निशानी है।।
तुझे पा कर फिर खो देना, मुझे भाता नहीं है।
बंधन में बंध कर फिर मुक्त होना , मुझे आता नहीं है।।
जय प्रकाश कुवंर
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