कलम दवात
आज गोधन कुटाई, भाई दूज, चित्रगुप्त पूजा के साथ साथ कलम दवात पूजा का भी महत्व है। मन की किसी भी बात को कागज पर उकेरने के लिए कलम दवात के सहायता की जरूरत पड़ती रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् चित्रगुप्त कलम दवात की सहायता से ही धरती के समस्त प्राणियों के कर्मों का लेखा जोखा तथा विवरण लिखते हैं। इसलिए कलम दवात की पूजा भी हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है।जैसे चित्रगुप्त पूजा कायस्थ समाज के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, उसी तरह कलम दवात की पूजा विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि कलम दवात की पूजा करने से व्यापारी वर्ग के लोगों को आर्थिक उन्नति मिलती है और उनके व्यापार में वृद्धि होती है।
कलम दवात की जोड़ी में एक दवात, चाहे वो शीशा का हो अथवा किसी धातु का हो, जिसमें स्याही घोल कर रखा जाता है। कलम भी चाहे कंडे का हो या फिर लकड़ी के बारिक पतले टुकड़े में धातु का नीब लगा हुआ हो, इसका प्रयोग किया जाता है। कलम के नीब को दवात के स्याही में डुबो कर कागज के टुकड़े अथवा किसी खाता बही पर अपनी इच्छित बात लिखा जाता है।
समय के क्रमशः विकास के अनुसार कलम दवात का धीरे धीरे साथ छुटता गया और एक समय ऐसा भी आया जब फाउन्टेन पेन का जमाना आया जिसमें अलग अलग कलम दवात की जरूरत नहीं पड़ती थी। फाउन्टेन पेन में ही स्याही भरा जाता था और लिखा जाता था। स्याही खत्म हो जाने पर कलम में पुनः स्याही भरा जाता था और लिखा जाता था। यह सिलसिला भी कुछ लम्बे अर्से तक चला।
फिर जमाने के बदलाव के अनुसार फाउन्टेन पेन भी पीछे छूट गया और अब डाटपेन का जमाना शूरू हुआ। इसके लीड में एक बार स्याही भरे जाने पर कुछ दिन तक लिखा जाता था और खत्म होने पर पुनः लीड को बदल दिया जाता था। इसमें बार बार स्याही नहीं भरा जाता था बल्कि स्याही भरा लीड बदल दिया जाता था। यह सिलसिला भी काफी समय तक कायम रहा। पर जब से लैपटॉप, कम्प्यूटर और मोबाईल का जमाना शुरू हुआ तब से कलम दवात, स्याही और कागज, इन सब का लगभग खत्म सा ही हो गया है।
अब व्यक्तिगत रूप से लेकर आफिस आदि तक सब जगह पेपरलेस काम होने लगा है। अब न तो कलम दवात और कागज की जरूरत है और न हीं किसी खाता बही की जरूरत है। अब लैपटॉप, कम्प्यूटर और मोबाईल स्क्रीन पर उसमें लगे हुए कीबोर्ड की सहायता से उंगलियों से पत्र अथवा दस्तावेज लिखकर आदान प्रदान किया जाता है
अत: इस बदले हुए आधुनिक युग में कलम दवात पूजा अब केवल एक हमारी धार्मिक मान्यता मात्र रह गई है। आइये हम अपनी धार्मिक मान्यता को निभाएं और आज के दिन कलम दवात पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करें। जय प्रकाश कुवंर
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