नशे की चपेट में आता पंजाब का युवा वर्ग
डॉ राकेश कुमार आर्य
जिस समय खालसा पंथ की स्थापना की गई थी, उस समय देश में मुगलों के अत्याचार अपने चरम पर थे। खालसा का अभिप्राय शुद्धता से है। इस शुद्धता का अभिप्राय था कि जिस इस्लाम के नाम पर मुगल बादशाह सनातन वैदिक धर्मी हिंदू समाज पर अत्याचार कर रहे थे, उससे शुद्ध पवित्र कोई नहीं था। सनातन की मान्यताओं को संक्षिप्त स्वरूप में लाकर 9 अप्रैल 1699 को गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसकी स्थापना के साथ उन्होंने संकेत और संदेश दिया था कि जो भी लोग शुद्धता और पवित्रता के उपासक हैं , वे अत्याचारों के पंथ इस्लाम की ओर आकर्षित न होकर अपने सनातन को
खालसा पंथ के रूप में ग्रहण करें। खालसा का अर्थ है - सिख धर्म के विधिवत् दीक्षा प्राप्त शिष्यों अथवा अनुयायियों का समूह। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोविंद सिंह जी का पवित्र उद्देश्य सनातन की रक्षा करना था , सनातन राष्ट्र भारत की रक्षा करना था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुरुजी ने अपने शिष्यों को ' सिंह ' का नाम दिया था। ऐसा करके गुरुजी ने लोगों के भीतर छुपे हुए शौर्य को जगा दिया था। जिसके चलते अनेक शूरपुत्र मुगल अत्याचारों के सामने सीना तानकर खड़े हो गए थे।
मुगलों से पहले सल्तनत काल में इस खालसा शब्द के दूसरे अर्थ लिए जाते थे। उस समय की मान्यता के अनुसार खालसा का अभिप्राय उन क्षेत्रों से लगाया जाता था, जो सीधे सुल्तान के नियंत्रण में आते थे। उस समय सुल्तानों द्वारा विजित क्षेत्रों को दो भागों में बांटा जाता था- एक खालसा और दूसरा जागीर। खालसा से मिलने वाले राजस्व का उपयोग शाही घरानों और दरबार के रखरखाव पर किया जाता था।
गुरु गोविंद सिंह ने इस खालसा शब्द को नए अर्थों के साथ प्रस्तुत किया। उन्होंने इसका अभिप्राय शुद्ध , पवित्र और मुक्त होने से लगाया। अर्थात यह शुद्ध भी है, पवित्र भी है और मुक्ति प्राप्त कराने में सहायक भी है। अभिप्राय हुआ कि यदि सनातन की शरण में आओगे, सनातन के मूल्यों को अपनाओगे, सनातन की शुद्धता, पवित्रता और उच्चता को ग्रहण करोगे तो जीवन शुद्ध, पवित्र होकर मुक्ति को प्राप्त हो जाएगा। गुरुजी ने वैदिक चिंतन और दर्शन को इस एक शब्द के माध्यम से प्रस्तुत कर लोगों को राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए जागृत करने का स्तवनीय उद्योग किया।
जिस भूमि से राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा का संदेश सदियों से गूंजता रहा, आज वहां राष्ट्र और धर्म के प्रति विद्रोह करने वाले तत्व खुले घूम रहे हैं।
यह अत्यंत दुखद स्थिति है कि आज यहां खालिस्तानी आतंकवाद से आगे जाकर नई भूमिका तैयार की जा रही है । अंतर्राष्ट्रीय साजिशों के अंतर्गत गुरु भूमि पंजाब के युवाओं को पथभ्रष्ट करते हुए उनका तेजी से मत परिवर्तन कराया जा रहा है। यहां पर कई प्रकार के मादक द्रव्यों और ड्रग्स के धंधे ने नई कहानी लिखनी आरंभ कर दी है। जिसकी गिरफ्त में पंजाब का युवा बड़ी तेजी से आता जा रहा है। कुछ मुट्ठी भर आतंकवादियों को विदेश से जिस प्रकार की आर्थिक सहायता मिल रही है, उसके चलते वह पंजाब में बढ़ते इस धंधे के विरुद्ध आवाज नहीं उठा सकते । क्योंकि उन्हें डर है कि यदि उन्होंने ऐसा किया तो उनको मिलने वाली आर्थिक सहायता बंद हो जाएगी। पंजाब की वर्तमान भगवन्त सरकार भी वस्तुस्थिति से आंखें मूंद कर बैठी है। कल परसों जब वहां आप की सरकार बनी थी तो वह आतंकवादियों के समर्थन से ही बनी थी। इसका सीधा अभिप्राय है कि वह आतंकवादियों के विरुद्ध कोई कठोर कानूनी कार्यवाही नहीं करेगी। यदि करेगी तो उसकी सरकार चली जाएगी । ऐसे में इस कमजोर सरकार से यह भी अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह गुरुओं की पवित्र भूमि को मादक द्रव्यों और ड्रग्स के धंधे से मुक्ति दिला सकेगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से केवल यही अपेक्षा की जा सकती है कि वह यथास्थिति बनाए रखकर पंजाब को ढोते रहने का प्रयास करेंगे । यह भी सत्य है कि जब यथास्थिति बनाए रखने के लिए कार्य किया जाता है तो वह और भी अधिक पतन की ओर ले जाया करती है।
यदि आंकड़ों पर विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस सीमावर्ती प्रांत पंजाब में पिछले दस महीनों में पंजाब पुलिस ने 153 बड़े ऑपरेटरों सहित 10,524 तस्करों को गिरफ्तार किया है। इन सभी का उद्देश्य पंजाब के युवाओं को तेजी से मादक द्रव्यों और ड्रग्स की चपेट में लाना रहा है। जिसके चलते पंजाब का युवा अपनी जड़ों से कटता जा रहा है। जिस पंजाब के युवाओं की चेहरे की लाली दूसरों को आकर्षित किया करती थी, आज वे युवा कांतिहीन चेहरा लेकर घूम रहे हैं। एक समाचार के अनुसार पंजाब में हाल ही में 790 किलोग्राम हेरोइन, 860 किलोग्राम अफीम और अन्य नशीले पदार्थों के साथ-साथ 13 करोड़ रुपये से अधिक ड्रग मनी जब्त की गई है। हमारा मानना है कि ऐसा तभी होता है जब शासन में बैठे लोग या तो कमजोर होते हैं या इस प्रकार की साजिशों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करने की क्षमता उनके भीतर नहीं होती है। आम आदमी पार्टी को यदि आतंकवादियों के समर्थन से इस सीमावर्ती प्रांत में सरकार बनाने का जनादेश मिला है तो उसके पीछे की मानसिकता को समझने की आवश्यकता है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठता है कि क्या यह सीमावर्ती प्रांत एक बार पुनः आतंकवाद की चपेट में जा रहा है या सभी राजनीतिक दल केवल देश के प्रधानमंत्री को नीचा दिखाने के लिए इसमें आतंकवाद को सिर उठाने का अवसर प्रदान करने की व्यवस्था कर रहे हैं ? माना कि पंजाब की वर्तमान सरकार ने इन आपराधिक अभियानों की कमर तोड़ने के लिए नशे के कारोबार से जुड़े लोगों की 208 करोड रुपए की संपत्ति को जब्त किया है परंतु जहां पर खेल अरबों खरबों का हो रहा हो और देश की एकता और अखंडता को मिटाने में बड़ी-बड़ी शक्तियां लगी हों, वहां पर इस कार्यवाही को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। इस समय हमारे लिए पंजाब के युवक के चेहरे की कांति को लौटाना तो महत्वपूर्ण है ही उसे देश की मुख्य धारा के साथ जोड़ना उससे भी महत्वपूर्ण है और इन दोनों से महत्वपूर्ण है देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के प्रति गंभीरता दिखाना ।सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, उसके लिए देश की एकता सर्वोपरि होनी चाहिए।
( लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है)
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