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चित्राधारित

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जय राधेकृष्ण हरे हरे ,
विनती करूॅं खड़े खड़े ।
दया करो दयानिधान ,
हर परिवार हो हरे भरे ।।
क्लेश द्वेष कर दो दूर ,
खुशियाॅं बरसे ये भरपूर ।
विघ्न बाधा जो भी आए ,
हो जाए वह चकनाचूर ।।
तूने बनाया दुनिया सारी ,
धरा शृंगार सुंदर प्यारी ।
तरह तरह के फल फूल ,
सुंदर सुगंधित फुलवारी ।।
जन्म दिया तूने मुझको ,
मेरा भी प्रतिपाल करो ।
डूब रहा तट पर आकर ,
प्रभु मेरा भी खयाल करो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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