रिश्तों का मोल
पुराने रिश्तें नातो कानये से मेल नही होता।
पुरानी दोस्ती का भी
नये से मोल नही होता।
नये नये षडयंत्रों से
जीवन में बचना पड़ेगा।
नये और पुराने रिश्तों का
फर्क समझना पड़ेगा।।
सिलाई करने वाला यंत्र
पुराना हो या हो नया।
सिलाई करने के लिए
धागा तो लेना पड़ेगा।
अगर फट जाएँ कपड़ा
रफू तो करना पड़ेगा।
तभी पहनने लायक
शायद वो बन पायेगा।।
सिलाई पुरानी हो या नई
धागा तो निश्चित टूटेगा।
इसी तरह से रिश्तों का
कोई धागा तो टूटेगा।
फिर टूटे हुए धागे को
लगाना गाँठ पड़ेगा।
इसी तरह से जीवन की
डोरी को बंधना पड़ेगा।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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