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जन्म दिन

जन्म दिन

खुदका जन्म दिन मनाना रहा हूँ।
देखो दुनियां वालो तुम।
कितना हर्षित और प्रफुल्लित हूँ।
अपने इस जन्म दिन पर मैं।।


एक वर्ष और कम हो गया।
अपनी आयु के वर्षो में से।
फिर भी देखो कितना खुश हूँ।
अपनी घटती हुई उम्र पर मैं।।


खुश नसीब मानता हूँ खुदको।
इसलिए आया दुनियां में।
कर्मो के बंधन के कारण ही।
पाया है मैंने मानव जन्म।।


खुदके जन्म को सार्थक करना है।
इसलिए मैं लिखता और गाता हूँ ।
और दुनियां की कु-रीतियों को।
मिटाने का प्रयास निरंतर करता हूँ।।


करना है मुझको दुनियां में।
मानव सेवा वाले काम।
जिससे खुदको जिंदा रख सकूँ।
दुनियां के इस मान चित्र पर।।

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुंबई
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