ओरी तर के बात अब,
आज उड़ियवले बाड़।कतना कतना बात अपना,
पेट में छुपवले बाड़।।
हिन्दू के लड़की जब,
मिंयाँ दुल्हा ले आइल।
केहू ना जानल, आ
तनिको ना शोर भइल।।
खुशी खुशी खुल के सब,
इद बकरीद मनावत बाड़े।
नया समाज के परिभाषा,
पूरा गाँव के समुझावत बाड़े।।
उंचा पढ़ाई कर के,
लड़की लड़का बेसी उंचा हो गइल।
शादी में जात धरम,
कुछुओ ना रह गइल।।
मन ना भी मानी तबहुं,
स्वीकारल जरूरी बा।
औलाद प्रेम खातिर सब कइल,
आज माई बाप के मजबूरी बा।।
जय प्रकाश कुवंर
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