Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

त्यौहार फिर से आना

त्यौहार फिर से आना

लेखक मनोज मिश्र इंडियन बैंक के अधिकारी है|
त्यौहार आए
खुशियां लाए
दूर दूर रहने वाले
पास में रहकर भी
दूरी वाले
घर के सारे
परिजन आए
रंग बिरंगी जिंदगी
थोड़ी परवान हो गई
थमती सांसों को
जैसे त्राण मिल गई
लगा कि इससे बेहतर
नहीं कुछ और नहीं
यही सही है
है यही जिंदगी
खुशियों के
मेले में घूमे
मीठे मिष्ठान्नों के
स्वाद ले लिए
बड़ी चहल पहल
स्वादिष्ट पकवान
सब कुछ था
इसी मकान
किलकारी थी
जवानी भी तारी थी
उम्र दराज
कुछ फटे जुराब
फिर से पैबस्त हो
हुए गुलाब
अंदर का हर्ष
ममता का स्पर्श
संतति पर अभिमान
शोर शराबा
खींच तान
बिखरा पूरे
घर में सामान
सभी कहते थे
त्योहार बड़ा है
जीवन उत्साह में
खूब पगा है
हुआ खत्म त्यौहार
जाने की जल्दी
सबको है काम
सबकी सिरदर्दी
आगे देखो फिर आयेंगे
कह कर सभी अपने
अपने दिशा में चल दी
रह गया वो ठूंठ
पुराना पीपल
कहता मैं ही
शाश्वत सत्य
मिथ्या है वह
था तेरे पास
फिर वही कटोरी
वही गिलास
खुद से खुद को
सम्भाल जरा
थक जाए तो
आ पास जरा
कह दो कोई
इन त्यौहारों से
यूं न आया करें इधर
या आएं तो
कुछ जाएं ठहर
अब जीवन का
पता नहीं शेष
अंखियां तकती
फिर से संदेश
फिर गुलज़ार होगा
यह चमन
जब आयेगा
कोई त्योहार पावन
कैसे कहूं कि
नही तुम आना
बस शेष यही कि
जब भी आना
कुछ रुक सा जाना
मन को समझना
तुम फिर आओगे
कहते जाना।- मनोज कुमार मिश्र
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ