फुल का नाम लेते ही,
दिल में कोमल भाव आते हैं।फुलों के खुशबू से,
दिल बाग बाग हो जाते हैं।।
पहले फुलों की फुलवारियां होती थीं,
अब गमलों में फुल उगाए जाते हैं ।
फुलवारियां बिलुप्त होती जा रहीं,
अब फुल गमलों में ही भाते हैं।।
बेली ,चमेली ,केवड़ा ,गुलाब,
ये सब धरती के फुल थे।
ये हमें सुंदरता और खुशबू देते थे,
हम इन्हीं में मशगूल थे।।
हमने स्वर्ग की परियों की तरह,
स्वर्ग का फुल ले आए।
पारिजात, अपराजिता और गुलमोहर,
स्वर्ग के फुल हमें खुब भाए।।
एक गुलमोहर को छोड़,
अब सब गमलों में लगाए जाते हैं।
ये स्वर्ग के फुल घर में,
अपनी सुंदरता और सुगंधी फैलाते हैं।।
फिर भी जुड़े में गजरा बांधने के लिए,
बेली चमेली केवड़ा ही,
महिलाओं को पसंद है।
पारिजात अपराजिता गुलमोहर,
अपनी सुन्दरता बिखेरने में,
सबसे हुनरमंद हैं।।
जय प्रकाश कुवंर
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