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हिंद के उत्संग में,शेखावाटी शौर्य दीप जलाती

हिंद के उत्संग में,शेखावाटी शौर्य दीप जलाती

वीर प्रसूता धरा अति शोभित,
अधुना अंतरतम चार जिला ।
झुंझुनूं सीकर चूरू संग अब,
नीम का थाना प्रसून खिला ।
महाराव शेखा जी कर कमल ,
अवतरण बिंब चौदह सौ पैंतालीस जताती ।
हिंद के उत्संग में,शेखावाटी शौर्य दीप जलाती ।।


खाटू वाले श्याम धनी यहां,
सबका बेड़ा पार लगाते हैं ।
सालासर बाबा आशीष बहा,
सोया भाग्य जगाते हैं ।
जीण भवानी शाकंभरी मात,
नित भक्त वत्सल उमंग जगाती ।
हिंद के उत्संग में,शेखावाटी शौर्य दीप जलाती ।।


पिलानी अंतर विज्ञान अठखेलियां,
शिक्षा सुरभि मलयज सीकर ।
युवा जोश अनुपमा अर्णव,
राष्ट्र प्रेम दिव्य अमृत पीकर ।
खेती सह अथक श्रम साधना,
सुख समृद्धि वैभव बरसाती ।
हिंद के उत्संग में,शेखावाटी शौर्य दीप जलाती ।।


समता समानता सद्भाव ज्योत,
घर परिवार समाज दर्शित ।
दर्श नव पीढ़ी नवल कीर्तिमान ,
जन पटल गर्वित हर्षित ।
अग्र कदम शिक्षा व्यापार देश रक्षा,
निशि दिन प्रगति पंख लगाती ।
हिंद के उत्संग में, शेखावाटी शौर्य दीप जलाती ।।


कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)
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