पुस्तकालय और संग्रहालय ज्ञान परंपरा के आधार हैं: डा सी पी ठाकुर
- 'शशिकमल पुस्तकालय एवं संग्रहालय' के साथ दो पुस्तकों का हुआ लोकार्पण।
पटना, २५ नवम्बर। एक पुस्तकालय अथवा संग्रहालय, विद्यालय की भाँति ही हमारी ज्ञान परंपरा के आधार हैं। इनसे एक दो नहीं, अनेकों लोग लाभान्वित होते हैं। ऐसी संस्थाओं की स्थापना और संचालन समाज की बड़ी सेवा है।
यह बातें रविवार को नासरीगंज, दीघा स्थित 'शशिकमल पुस्तकालय एवं संग्रहालय' का लोकार्पण करते हुए, पूर्व केन्द्रीय मंत्री पद्मभूषण डॉ.सी. पी. ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय के संस्थापक ने अपने आवास को ही इस रूप में विकसित कर प्रशंसनीय और अनुकरणीय कार्य किया है।
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि लोकार्पित पुस्तकालय और संग्रहालय के संस्थापक डा शशि भूषण सिंह, जो सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता और एक बड़े लेखक भी हैं, ने अपने आवासीय परिसर को, इस कार्य के लिए अर्पित कर, समाज में लंबी अवधि तक दिया जाने वाला एक अत्यंत प्रणम्य अवदान दिया है। इस संग्रहालय में अनेक ऐसी दुर्लभ वस्तुएँ भी हैं, जो सबका ध्यान खींचती हैं। इनके संग्रह अनेक प्रकार से मूल्यवान हैं, जो पुस्तकों और परंपरा से भाग रही पीढ़ी को अपनी और खींचेंगे और ज्ञान से समृद्ध करेंगे।
इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी और सुविख्यात कवि राम उपदेश सिंह 'विदेह' , झारखंड प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह , वरिष्ठ साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी तथा नगर परिषद दानापुर निजामत की अध्यक्ष शिल्पी कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।समारोह में डॉ. शशि भूषण सिंह की दो पुस्तकों, “जरा मुस्कुराइए' और 'बरकत' का भी लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन भी आयोजित हुआ, जिसमें साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ, वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. महामाया प्रसाद 'विनोद', डॉ. रमाकांत पाण्डेय, कोकिल-कंठी कवयित्री आराधना प्रसाद, डॉ. रुबी भूषण, कमल किशोर वर्मा 'कमल', सुनील कुमार, प्रो. सुनील कुमार उपाध्याय, राम यतन यादव, शहशांह आलम, डॉ. शशि भूषण सिंह, दया शंकर सिंह और अन्य प्रसिद्ध कवियों ने अपनी सुमधुर और सामयिक भाव की रचनाओं से, बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं और अतिथियों को काव्य-रस से सराबोर कर दिया।मंच का संचालन कवि ब्रह्मानंद पाण्डेय ने किया।
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