अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई
सनातन धर्म द्वादश मास,अद्भुत अनूप पावन महत्ता ।
अंतर्निहित मांगलिक प्रभा,
दिग्दर्शन सेतु परम सत्ता ।
मगसर माह दिव्यता अथाह,
रोम रोम अनुभूत कन्हाई ।
अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई ।।
जनमानस हर्षित गर्वित ,
नदी सरोवर पावन स्नान ।
श्री कृष्ण उपासना आह्लाद,
सर्वत्र जप तप ज्ञान ध्यान ।
प्रेरणा बिंब सुख समृद्धि पथ,
हर पल असीम आनंद रंगाई ।
अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई ।।
प्रकृति मोहक शीत श्रृंगार,
गर्म खान पान रहन सहन ।
सर्व अनंत कायिक लाभ ,
चिंतन मनन स्तर गहन ।
नीर समीर अठखेलियां,
परिवर्तन प्रभाव रूप ठंडाई ।
अगहन की ठिठुराई में , कान्हा की आशनाई ।।
सतयुग अग्रहायण सदा अग्र,
वर्ष श्री गणेश भव्य उपमा ।
कश्मीर स्थापक श्रेय धारी,
उत्तम उपासनिक भाव रमा ।
परिपूर्ण मनोवांछित कामना ,
सफलता सहज संग पुरवाई ।
अगहन की ठिठुराई में,कान्हा की आशनाई ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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