Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

धुर अशान्त जीवन में

धुर अशान्त जीवन में|

डॉ रामकृष्ण मिश्र
धुर अशान्त जीवन में कोई शीतलता की बात करें।
शब्दों में व्यापक संवेदन भर कर नया प्रभात करें।।
ईर्ष्या ,जलन, लोभ की वंशी ने कितना उपहास दिया।
अब तो साँसों की सीमा पर रसमय कुछ संवाद करें।।


कितना चलना है आखिर तक अब तक तो मालूम नहीं।
फिर भी अनपच गलवादों पर थोड़ा शब्दाघात करें।।।
कंकड़ - पत्थर बिनते -बिनते आँखों में माड़ा छाया।
अभी समय है आओ बैठें फिर स्नेहिल शुरुआत करें। ।
ईंट पत्थरों वाली गठरी का कोई तो मोल नहीं।
जो नवनीत बना दे जीवन उसकी ही बरसात करें।।
कुमति महा चंडाली बैरिन सर्वनाश कर जाती है। 
सावधान रहना उत्तम है तम में उज्ज्वल रात करें।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ