Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सांच बात कहला पर,

सांच बात कहला पर, 

केहू पतियाते नइखे। 
कतनो करत बानी, 
झूठ बोलल जाते नइखे।। 
काका घरे खाना खा के, 
पेट खुब अघाइल बा। 
आपन माई कहत बाड़ी, 
बबुआ भुखाइल बा।। 
क‌इसे समझाईं माँ के, 
एक दम से बुझाते नइखे। 
सांच बात कहला पर, 
केहू पतियाते नइखे।। 
काका घर से माई के, 
कुछ दिन से झगड़ा बा। 
छोटी छोटी बात खातिर, 
दूनों घर में रगड़ा बा।। 
माई सोचत बाड़ी, 
उ सब क‌इसे खियाई। 
हम सोचत बानी, 
माई सांच क‌इसे पतियाई।। 
साखी गोआही एह में, 
केहू से दिहल जाते नइखे। 
सांच बात कहला पर, 
केहू पतियाते नइखे।। 
अपना घर के झगड़ा, 
अपने में फरियाला। 
कुछ दिन खातिर सब में, 
खान पान छुट जाला।। 
लोग मजा लेला खुब, 
इ केहू का बुझाते नइखे। 
सांच बात कहला पर, 
केहू पतियाते नइखे।। 
     जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ