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कहाँ जाएगा हमारा देश ?

कहाँ जाएगा हमारा देश?

डॉ रामकृष्ण मिश्र
कहाँ जाएगा हमारा देश हम सोचें। 
  शान्त कैसे  हो सके परिवेश‌‌ हम सोचे।। 
अस्तिता सदियों  हमारी रही  है घायल। 
 हो न  कोई किसी को भी क्लेश हम सोंचेँ।।
जानवर है आदमी की खाल में बैठा। 
श्रमिक अपना ह़ो सके सत्येश  हम सोंचें।। 
द्वेष   का आधान  अनुचित है अमानुष भी। 
हो उदार   विवेकवान  नरेश‌ हम  सोंचें।। 
 खुद न पाए  कभी खाई  मधुर  रिश्तों   में  । 
प्रेम  हो सदभाव हो सविशेष  हम सोचें।। 
शहर की संगीन  राहों   पर न हो बाधा। 
चले सीना तान आज भदेश हम  सोंचें।। 
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