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एक झलक मिल जाए

एक झलक मिल जाए

एक झलक मिल जाए तेरी, मन वृंदावन हो जाए।
हर पल देखूं नाम जपूं, हृदय यह पावन हो जाए।

मोर मुकुट धारी माधव, मुरलिया मोहन रंग लाई।
थिरक-थिरक नाचे सब, गोकुल में खुशियां छाई।

मनमंदिर में मूरत तेरी, सांसों में बसे सिमरन तेरा।
कृष्ण कन्हैया मुरली वाले, आओ हरो संकट मेरा।

तरस रहे नयना मेरे, देखूं कान्हा एक झलक तेरी।
पलक बिछाए बैठे हम, आस करो सब पूरी मेरी।

हे केशव कान्हा गिरधारी, नटवर नागर बनवारी।
जग के करतार सुनो प्रभु, थोड़ी अरदास हमारी।

घट-घट के वासी हे मोहन, दर्शन देने आ जाओ।
पूजन थाल सजा मंदिर, मन मंदिर में बस जाओ।

मुस्कान धरे हो होठों पे, गले में वैजयंती माला है।
चक्र सुदर्शनधारी माधव, हम सबका रखवाला है।

मुरली की तान गिरधारी, मोह लेती है मन हमारा।
हम तेरे दर्शन के प्यासे, तेरा ही हमको है सहारा।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान रचना स्वरचित व मौलिक है
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