घर परिवार किसे कहते
बिना हिल-मिलकर रहे,कोई परिवार नहीं बनता।
बिना चर्चा के कभी कोई ,
समाधान नहीं मिलता।।
जिन घरों में माता-पिता,
को सम्मान देते हैं।
वो घर ही परिवार,
कहलाने लायक होते है ।
उन्ही घरों का माहौल,
स्वर्ग जैसा होता है।।
गुरु बिन ज्ञान किसको,
कभी मिल नहीं सकता।
ज्ञान बिना बच्चों का जीवन,
सार्थक हो नहीं सकता।
बिना माता-पिता के बच्चे,
सदा ही अनाथ कहलाएँगे।
संस्कारों के अभाव में,
घर नरक बन जाते है।।
बहू-बेटियों में शर्म-हया,
होना बहुत जरूरी है ।
संस्कारों के बिना घर,
परिवार सदा अधूरे है।
इसलिये बुजुर्गों का सम्मान,
हर घर में जरूरी है।
तभी तो दिलों में प्रेम-स्नेह,
प्यार सदा जिन्दा रहेगा।।
यदि मिलता रहेगा आशीर्वाद,
हमें सदा उन लोगो का।
तो हमारा घर भी सभी को,
स्वर्ग जैसा हमेशा ही लगेगा।
और लोग बोलेंगे कि कलयुग में भी,
सतयुग जैसा अपना घर परिवार है ।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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