अच्छे और बुरे समय में संतुलन: एक जीवन दर्शन
पंकज शर्मा
यह उक्ति, "जो लोग वक़्त के स्वभाव से भली भाँति परिचित होते हैं, वो लोग अपने अच्छे वक़्त में विनम्रता और बुरे वक़्त में धैर्य नहीं छोड़ते हैं," एक गहरी जीवन-दर्शन को दर्शाती है। यह हमें समय की परिवर्तनशील प्रकृति और जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों के प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण रखने का महत्व सिखाती है।
समय एक नदी की तरह है, जो लगातार बहती रहती है। यह कभी स्थिर नहीं रहता। जीवन में सुख और दुःख, सफलता और असफलता, उन्नति और अवनति, सब समय के ही पहलू हैं। जो लोग इस सत्य को समझते हैं, वे न तो अच्छे समय में अहंकार में डूबते हैं और न ही बुरे समय में निराशा में।
अच्छे वक़्त में विनम्रता : जब हमारे जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा होता है, सफलता हमारे कदम चूम रही होती है, तब अक्सर हम अहंकार के शिकार हो जाते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि यह सफलता स्थायी नहीं है। समय का पहिया घूमता है, और परिस्थितियाँ बदल सकती हैं। जो लोग समय के स्वभाव को समझते हैं, वे अच्छे समय में विनम्र बने रहते हैं। वे अपनी सफलता का श्रेय अपनी मेहनत के साथ-साथ परिस्थितियों और दूसरों के सहयोग को भी देते हैं। वे दूसरों के प्रति सम्मान और सहानुभूति का भाव रखते हैं।
बुरे वक़्त में धैर्य : जब जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, परेशानियाँ हमें घेर लेती हैं, तब अक्सर हम धैर्य खो बैठते हैं। हम निराश और हताश हो जाते हैं। हमें लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है। लेकिन जो लोग समय के स्वभाव को समझते हैं, वे बुरे समय में भी धैर्य बनाए रखते हैं। वे जानते हैं कि यह बुरा समय भी स्थायी नहीं है। समय बदलेगा, और परिस्थितियाँ फिर से अनुकूल होंगी। धैर्य हमें मुश्किलों का सामना करने और उनसे उबरने की शक्ति देता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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