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व्यवहार और शिष्टाचार

व्यवहार और शिष्टाचार

नया और पुराना जमाना,
हमें आज याद आ रहा है।
कितने अच्छे और सच्चे
लोग होते थे तब के।
झूठ कर कोई बुलाये तो,
सच्च में सामने होते थे।
पर आज सच में बुलाये,
तो झूठकर भी आते नहीं हैं।
कितना सब-कुछ बदल दिया,
देखो लोगों के स्वार्थ ने।।


आत्मीता बदली व्यवहार बदला
और बदल गये अचार-विचार।
कलयुग में अब क्या बचा,
कहने सुनने को अब यार।
कुछ तो शर्म करो और रखो
अपनो के लिए इस जमाने।।


कैसे बदला और किसने बदला,
समाज का व्यवहार और शिष्टाचार।
किसको दे हम दोष अब,
क्योंकि सारे अपने है यार।
इसलिए दिलमें आते है
उनके प्रति ये विचार।
पर क्या वो समझे पायें
अपनो के कभी विचार।
इसलिए दिखाते रहते है,
अपनी दुर्भावनाएं देखो यार।।
कितना कुछ बदल दिया
लोगों ने अपना शिष्टाचार।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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