अपमान
जय प्रकाश कुवंर
हेलो, रमेश जी?
हाँ, मैं रमेश ही बोल रहा हूँ।
मैं इधर से तुम्हारा दोस्त श्याम लाल बोल रहा हूँ। कैसे हो भाई रमेश जी और आज कल क्या कर रहे हो?
मैं ठीक ठाक हूँ और सेवानिवृत्ति के बाद घर पर ही समय बिता रहा हूँ। और श्याम लाल जीआप कैसे हैं?
मैं भी ठीक ही हूँ और मैं भी सेवानिवृत्ति के बाद समय बीताने के लिए कभी कभी तीर्थ स्थल आदि पर पत्नी के साथ निकल पड़ता हूँ, लेकिन ज्यादा समय गाँव में घर पर ही बितता है।
रमेश जी, आज कल आपका लड़का आकाश क्या कर रहा है? अब तो वह काफी बड़ा हो गया होगा।
हाँ, कालेज की पढ़ाई समाप्त करने के बाद आकाश ने बैंक की नौकरी ज्वाइन कर ली थी। अभी एक बैंक में मैनेजर के रूप में उसकी तैनाती मुम्बई में है। वह वहाँ अकेला ही रहता है।
कभी कभी कुछ समय के लिए मैं उसकी माँ को लेकर उसके पास हो आता हूँ।
श्याम लाल जी आपको भी एक लड़की थी न, जो हमारे आकाश से चार पांच साल छोटी थी, वह भी तो अब बड़ी हो गई होगी। वह कैसी है और अभी क्या कर रही है?
मेरी बेटी रंजना भी अब बड़ी होकर तथा कालेज की पढ़ाई समाप्त कर , वह भी पी ओ के पद पर एक बैंक ज्वाइन कर ली है। अभी उसकी तैनाती ग्रामीण क्षेत्र में एक शाखा में है। लेकिन जैसा कि उसे सुनने में आया है कि शीघ्र ही उसकी भी तैनाती मुम्बई में होने वाली है।
इस दूरभाष से इस वार्ता के बाद रमेश जी और श्याम लाल जी के बीच कोई दूसरी बार्ता नहीं हो सकी थी, जब तक की मुम्बई में अपने बेटे की तैनाती और श्याम लाल जी के बेटी की तैनाती तथा आकाश द्वारा रंजना से शादी करने का प्रस्ताव दोनों ही अभिभावकों के पास नहीं आया।
शादी के प्रस्ताव के इस प्रकरण के बाद एक बार फिर रमेश जी और श्याम लाल जी, दोनों मित्रों और अभिभावकों के बीच अपने बच्चों की शादी के लिए दूरभाष तथा प्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क हुआ।
दरअसल रमेश जी और श्याम लाल जी कालेज के दिनों के मित्र थे। श्याम लाल जी का घर गाँव में था, जबकि रमेश जी का परिवार शहर में रहता था। शहर में कालेज की पढ़ाई समाप्त कर दोनों ही सरकारी विभाग में नौकरी करते थे। अलग अलग विभाग में नौकरी करने के बावजूद नौकरी के दरमियान एक समय पुनः दोनों किसी शहर में पड़ोसी जैसा रहे थे। इसलिए दोनों के परिवार में भी मैत्री थी। उस समय उनके बच्चे छोटे थे। उस समय की गाढ़ी मैत्री के चलते दोनों ने यह तय किया था कि भविष्य में वे इस मैत्री को पारिवारिक संबंध में बदल देंगे और बड़े होने पर अपने अपने बेटी बेटे की शादी एक दूसरे के साथ कर देंगे।
रमेश जी का लड़का आकाश शहरी परिवेश में पला था, जबकि श्याम लाल जी की लड़की रंजना ज्यादा समय ग्रामीण परिवेश में रही थी। बचपन के बाद सयाने होने पर आकाश और रंजना एक दूसरे को नहीं देखे थे और नहीं पहचानते थे। अभी तक दोनों में से किसी की भी शादी नहीं हुई थी। शादी के मामले में आकाश बड़ा चूजी था, जबकि रंजना अपने माता पिता के मन के अनुसार ही शादी करना चाहती थी। आकाश के उपर शहरी रंग चढ़ा हुआ था, जबकि रंजना एक सीधी सादी गाँव की लड़कियों जैसा ही रहती थी।
आकाश को जल्दी कोई लड़की पसंद ही नहीं आ रही थी और उसके माता पिता परेशान थे। इधर रमेश जी भी अपने मित्र श्याम लाल जी को दिये हुए वादे को भूला बैठे थे। अखवार में रमेश जी द्वारा आकाश की शादी के लिए लड़की संबंधित दिये गये मैट्रीमोनियल की खबर को पढ़ कर श्याम लाल जी ने अपनी लड़की रंजना का फोटो और बायोडाटा उनके दिये गये पते पर भेजा। चूकि रंजना का पढ़ाई के समय का पुराना फोटो उसके बायोडाटा के साथ लग गया था, अतः आकाश ने उसे गंवार लड़की कह कर बिलकुल नकार दिया। रमेश जी के तरफ से कोई संबाद नहीं मिलने पर श्याम लाल जी भी दुखी हुए और अपने को अपमानित महसूस कर रहे थे। खैर कुछ किया नही जा सकता था। और लड़के की बिना सहमति के शादी का परिणाम अच्छा नहीं होता, यह सोचकर वे चुप बैठ गए।
इधर रंजना की तैनाती भी ग्रामीण क्षेत्र के बैंक से मुम्बई के बैंक के उसी शाखा में हो गई जिसमें मैनेजर के रूप में आकाश पहले से काम कर रहा था। लेकिन वो दोनों एक दूसरे के लिए अपरिचित थे। अब रंजना भी अपनी जवानी को अख्तियार कर चूंकि थी और एक सुंदर काया की मालकिन थी। तैनाती के पहले दिन से ही आकाश की नजरें उस पर टिक गईं। वह किसी न किसी बहाने रंजना का सामिप्य चाहता था। लेकिन रंजना अपने वरिष्ठ का सम्मान करती थी। वह अपने काम में व्यस्त रहती थी और आकाश से कतराती थी। आकाश कोई न कोई बहाना ढूंढ कर रंजना से अकेले में मिलना चाहता था,पर वह टाल जाती थी।अब ऐसी स्थिति हो गई कि आकाश को रंजना के आगे कोई भी लड़की अच्छी नहीं लगती थी। वह रंजना की कुंवारी स्थित को जान कर उससे शादी करने को लालायित रहने लगा। आफिस से बाहर निकलने पर एक दिन आकाश ने रंजना को अपने साथ थोड़ा समय कुछ निजी बात करने के लिए ,देने के लिए कहा। इस पर रंजना ने बड़ी मुश्किल से हामी भर दी। वे दोनों पास ही के एक पार्क में बैठ गए। आकाश ने इधर उधर की बातें न करके शीधे तौर पर रंजना से शादी का प्रस्ताव उसके सामने रख दिया। रंजना हतप्रभ रह गई और उसने कहा कि ये बात हम दोनों के अभिभावकों के स्तर पर होनी चाहिए।
आकाश भी मान गया और बात उनके अभिभावकों तक आ गयी। जब रमेश जी ने यह जाना कि उनका लड़का आकाश उनके मित्र श्याम लाल जी के लड़की रंजना को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है तो वे बड़े खुश हुए और उन्होंने हामी भर दी।
लेकिन जब यह बात श्याम लाल जी के मार्फत उनकी लड़की रंजना को मालूम हुआ तो वह सकते में पड़ गयी। वह सोचने लगी की यह उसके पिता के दोस्त का वही लड़का है, जिसने एक समय बायोडाटा के साथ भेजे गए मेरे फोटो को देख कर गवांर और भला बुरा कहकर मुझसे शादी करने को नकार दिया था और मेरे पिता का अपमान हुआ था।
इस बार रंजना ने इस संबंध को सीधे तौर पर नकार दिया और वह आकाश से शादी करने को तैयार नहीं हुई। उसने आकाश से दूरी बनाने के लिए अपना स्थानांतरण मुम्बई से दूर किसी अन्य शहर में करवा लिया।
जय प्रकाश कुवंर
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