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वेश्या किसी की पत्नी होती है क्या?

वेश्या किसी की पत्नी होती है क्या ,

उसके कोई अपने भी होते हैं क्या ?
वेश्या तो सिर्फ वेश्या ही होती है ,
उसके कोई सपने भी होते हैं क्या ?
क्षणिक पति और क्षणिक ही पत्नी ,
नहीं पीर पराया का ही एहसास है ।
किशोर युवा और वृद्धजन भी सारे ,
जन जन दिखे पति उसके पास है ।।
नहीं रिश्ता वहाॅं कोई भी पावन ,
जन जन की बनती वह तो ग्रास है ।
नीरस जीवन घुट घुटकर ही जीना ,
चलता जैसे सदैव ही उर्ध्व साॅंस है ।।
तन मन जिसका होता है बिकाऊ ,
जीवन जिसका सदा रहता उदास है ।
धन धन केवल मन में ही समाया ,
नहीं रिश्ता होता कोई भी खास है ।।
नकली चेहरा जिसका हो राम का ,
बनता वही उसका तो एक दास है ।
नहीं सतीत्व नहीं कोई अस्तित्व ,
बनता जीवन एक जिंदा लाश है ।।
वेश्या की होती केवल वेश्यावृत्ति ,
नहीं किसी से उसे कोई है प्रीति ।
वेश्या को है वह हृदय ही कहाॅं ,
समझ पाए जो नीति व अनीति ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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