दुनिया का हीरो
जिंदगी की उलझनो में उलझता रहा।और वक्त के साथ मैं चलता रहा।
वक्त ने साथ कुछ ही दिन दिया।
अंत में वक्त ने भी धोका दे दिया।।
वक्त की रफ़्तर को पकड़ ही था।
की साथ वालों ने हाथ छोड़ दिया।
दोष किसको देने की सोचते हम।
जब खुदका नसीब ही खोटा निकला।।
जीवन में सफलता पाने को
तकदीर भी अच्छी होना चाहिए।
सिर्फ कर्मो से काम नही चलता।
भाग्य भी तो कुछ हमारा होता है।।
इंसानो का खेल कुछ तो होता है
और उसकी जिंदगी का रचेता।
वो ही विधाता होता है
जिसने दुनियाँ को बनाया है।
बस उसके किरदार अलग अलग है
पर नाटक का असली हीरो वो ही होता है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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