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प्रगति का धीमा, लेकिन निश्चित मार्ग

प्रगति का धीमा, लेकिन निश्चित मार्ग

पंकज शर्मा
"प्रगति धीरे ही होती है, जल्दी तो पतन हुआ करते हैं।" यह कहावत जीवन के एक गहन सत्य को उजागर करती है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची प्रगति धैर्य और लगन का फल होती है, जल्दबाजी में हासिल की गई सफलता अक्सर अस्थायी होती है।


कई बार हम तुरंत परिणाम पाने की जल्दबाजी में होते हैं। हम शॉर्टकट ढूंढते हैं, आसान रास्तों की तलाश करते हैं। लेकिन इतिहास गवाह है कि स्थायी सफलता के लिए धैर्य और कड़ी मेहनत ही कुंजी है। एक मजबूत इमारत को बनाने में समय लगता है, उसी तरह सच्ची प्रगति भी धीरे-धीरे होती है।


यह कहावत हमें यह भी सिखाती है कि जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर पछतावे का कारण बनते हैं। जब हम जल्दबाजी में कोई काम करते हैं तो हम छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण भविष्य में हमें बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


प्रगति के धीमे मार्ग को अपनाने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं .....


1) गहन समझ : धीरे-धीरे काम करने से हमें चीजों को गहराई से समझने का मौका मिलता है। हम अपनी गलतियों से सीखते हैं और अपनी क्षमताओं में सुधार करते हैं।
2) बेहतर गुणवत्ता : जब हम जल्दबाजी नहीं करते तो हम बेहतर गुणवत्ता वाला काम कर सकते हैं।
3) तनाव में कमी : जल्दबाजी तनाव का एक प्रमुख कारण है। जब हम धैर्य रखते हैं तो हम तनाव मुक्त रहते हैं और बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
4) स्थायी सफलता : धीरे-धीरे की गई प्रगति स्थायी होती है। यह हमें लंबे समय तक प्रेरित रखती है।


इसलिए, आइए हम सभी प्रगति के धीमे मार्ग को अपनाएं। जल्दबाजी छोड़कर धैर्य और लगन से काम करें। याद रखें, सफलता एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं। धीरे-धीरे चलते रहें, लेकिन कभी रुकें नहीं।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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